29 December, 2007

मात्रा गणक प्रोग्राम का फ्लो-चार्ट

उच् हिन्दी चिट्ठाकार मेरे मात्रा-गणक प्रोग्राम के कलन-विधि ( अल्गोरिद्म) के बारे में जिज्ञासु हो सकते हैंउनके लिए नीचे इस प्रोग्राम का फ्लो-चार्ट प्रस्तुत है:






28 December, 2007

काव्यकारी में सहायक दो प्रोग्राम


कम्प्यूटर प्रोग्रामों के रूप में भाषा तकनीक सभी भाषाओं की तरह-तरह से सहायता कर रही है। इससे भाषाओं में नये आयाम जुड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाषा तकनीक के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं और इन सम्भावनाओं के फलीभूत होने पर भाषा-संसार में क्रान्तिकारी परिवर्तन होंगे और भाषा-संसार की कायापलट हो जायेगी।


इसी को ध्यान में रखते हुए मैने भी दो प्रोग्राम विकसित किये हैं। पहला प्रोग्राम देवनागरी के शब्दों को बायें से दायें या दाये से बायें क्रम में शाटन (सार्टिंग) करता है। इसमें दायें से बायें क्रम में शाटन कवियों के लिये बहुत उपयोगी और सहायक होगा। इसकी सहायता से तुकान्त शब्दों की सूची बनायी जा सकती है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि कविता में तुकान्त शब्दों का कितना महत्व है।


दूसरा प्रोग्राम किसी कविता की प्रत्येक पंक्ति में मात्राओं की संख्या की गणना करने का काम करता है। मात्राओं की संख्या के सही होने से ही कविता में गेयता आती है। दोहा, चौपाई, सोरठा, कुंडलिया आदि छन्दों के प्रत्येक चरण में मात्राओं की संख्या नियत होती है। जैसे ही मात्रा कम या अधिक होती है, कविता खटकने लगती है। इस प्रकार यह प्रोग्राम फटाफट मात्राओं की गणना करके अमूल्य समय की बचत कर सकती है और उन चरणों की ओर इशारा कर सकती है जिनमें संशोधन की आवश्यकता है।


निवेदन है कि हिन्दी-प्रेमी इन प्रोग्रामों को परखें और अपना सुझाव और प्रतिक्रिया दें।

देवनागरी क्रमक

मात्रा गणक



10 December, 2007

गाँवों के लिये डाक्टरों का 'निर्माण'


हाल में ही भारत के चिकित्सकों एवं चिकित्सा-छात्रों द्वारा गाँवों में काम करने का विरोध किया गया। यह अत्यन्त निन्दनीय है और इसका विरोध होना चाहिये। किन्तु इससे अधिक आवश्यकता भविष्य में चेतने और सम्यक योजना बनाने की है कि ऐसी स्थिति ही निर्मित न होने दी जाय।


इस सन्दर्भ में मेरे कुछ सुझाव हैं:

०) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों का बाकायदा 'ग्रामीण विद्यालय' के रूप में चिन्हित किया जाय।

१) इन विद्यालयों में पढ़े विद्यार्थियों को मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिये कम से कम ५०% का आरक्षण हो।

२) इस आरक्षण के विरुद्ध उनसे शपथ-पत्र भरवा लिया जाय कि उन्हे ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम १० वर्ष तक सेवा देनी होगी।

३) ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के बदले उन्हें 'असुविधा बोनस' दिया जाय।

४) इसी तरह की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाने के लिये अध्यापकों के लिये की जा सकती है।


मेरा मानना है कि भारत में सबसे पहले दो ही 'वर्ग' हैं: शहरी और ग्रामीण । अन्य वर्ग इसके बाद आते हैं।



07 December, 2007

हिन्दी विकिपीडिया ने १५००० का अंक पार किया

हिन्दी विकिपेडिया ने आज १५००० लेखों का आंकड़ा पार कर लिया। यह हिन्दी प्रेमियों के लिये खुशी की बात है। कुछ ही दिन हुए हम सभी हिन्दी विकिपेडिया को १०००० का अंक पार करते देखने की लालसा लिये हुए थे!


यूनिकोड ने विश्व की सभी भाषाओं की लिपियों को कम्प्यूटर पर समान धरातल प्रदान करके रोमन लिपि का कम्प्यूटर पर बर्चस्व तोड़ा। तदुपरान्त विकिपीडिया ने सभी भाषाओं में ज्ञान सामग्री सृजित करने का समान अवसर प्रदान करके भाषायी साम्राज्यवाद को समाप्त करने का धरातल तैयार किया है। हिन्दी विश्व के सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली तीन भाषाओं में एक है। समयदान देकर हिन्दी विकिपीडिया को समृद्ध बनाना हम सबका कर्तव्य है। हिन्दी विकिपीडिया एक महान अवसर लेकर प्रस्तुत हुआ है; हमे इसे व्यर्थ नहीं होने देना चाहिये।


आइये, अपनी रुचि के विषयों और उपविषयों पर लेख लिखकर हिन्दी और हिन्दुस्तान का मार्ग प्रसस्त करें!

तुष्टीकरण : कैसे-कैसे रूप !


हज सबसिडी

समान नागरिक संहिता लागू करने में आनाकानी और इसका विरोध

उत्तरी राज्यों में उर्दू को द्वितीय राजभाषा बनाना

उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति

इफ़्तार पार्टियाँ

मुसलमान राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति/राज्यपाल

अल्पसंख्यक आयोग

अल्पसंख्यकों के लिये विशेष आरक्षण

अल्पसंख्यकों को विशेष ऋण सुविधा

मदरसों को विशेष सुविधायें

अल्पसंख्यकों के लिये विशेष छात्रवृत्ति

सच्चर कमीटी

अफजल की फांसी पर चुप्पी

काश्मीर में भारत-विरोधी तत्वों के साथ नरमी

तसलीमा का बंगाल से निषकासन

तस्लीमा की पुस्तकों पर प्रतिबन्ध

विदेश नीति में इरान का समर्थन

इजराइल के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने से संकोच

धारा ३७०

पोटा हटाना

अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को विशेष सुविधा

उर्दू अखबारों को प्रोत्साहन

बंगलादेशियों को भारत में प्रश्रय

मुस्लिम लीग़ के साथ सत्ता-समझौता

---....---
... आदि, आदि

06 December, 2007

अपने लिये फाण्ट परिवर्तक प्रोग्राम स्वयं लिखें


यूनिकोड के फायदे अब सब स्वीकारते हैं, सब जानते हैं। ऐतिहासिक रूप से कम्प्यूटर पर हिन्दी (और अन्य गैर-रोमन लिपीय भाषायें) बड़े टेढ़े-मेढ़े रास्ते तय करते हुए आयी। इसमें 'लिगेसी' फाण्ट का प्रयोग भी एक मुकाम था। शुशा, कृतिदेव, संस्कृत९९ और न जाने कितने फाण्ट प्रयोग होते थे। जितने लोग, उतने फाण्ट।


अच्छी बात ये है कि इन फाण्टों में ही बहुत सारी हिन्दी की उपयोगी सामग्री (कन्टेन्ट) सम्हालकर रखा हुआ है। जिनको यूनिकोड में बदकर अमर किया जा सकता है।



किसी भी हिन्दी फाण्ट परिवर्तक के मुख्यत: तीन भाग होते हैं -

१) पुराने (लिगेसी) संकेतों को संगत हिन्दी यूनिकोड संकेतों से प्रतिस्थापित करना

२) छोटी इ की मात्रा का स्थान बदलना

३) आधा र (अक्षरों के उपर लगने वाला र) का स्थान बदलना

कहने की जरूरत नहीं कि जो भी प्रोग्राम लिखा जायेगा, उसे इन तीनों कार्य करने पड़ेंगे।



पुराने संकेतों को यूनिकोड संकेतों से बदलना:

हर लिगेसी फाण्ट में हिन्दी के स्वरों, मात्राओं एवं ब्यंजनों के लिये कुछ कोड प्रयोग किया जाता है, जो अन्तत: एक संकेत के रूप में दिखता है। विभिन्न लिगेसी फाण्टों में ये संकेत कुछ समान होते हैं और ज्यादातर भिन्न। उदाहरण के लिये संस्कृत९९ मे लिगेसी फाण्ट के कुछ संकेत और यूनिकोड के संगत संकेत नीचे दिये गये हैं:

"k", "K", "Š", "o", "O", "g", "G", "¸"
"", "क्", "क्", "", "ख्", "", "ग्", ""



छोटी इ की मात्रा की समस्या :

लिगेसी फान्टों में अधिकतर छोटी इ की मात्रा को निम्नलिखित उदाहरण से समझा जा सकता है:

दिन के लिये संस्कृत९९ में idn लिखा गया होगा.

क्लिष्ट को ikl;q लिखा गया होगा।

ध्यान दें कि छोटी इ की मात्रा के लिये i
का प्रयोग किया जा रहा है और यह जिस वर्ण पर लगनी है उसके ठीक पहले या उसके एक स्थान और पहले (दूसरे उदाहरण में) हो सकती है। जबकि यूनिकोड में छोटी इ की मात्रा के लिये आने वाला कोड , उस व्यंजन के कोड के बाद आता है।

दिन = द का कोड +
छोटी इ की मात्रा का कोड + न का कोड

स्थिति = स का कोड + हलन्त का कोड (स को आधा करने के लिये) + थ का कोड + छोटी इ की मात्रा का कोड + त का कोड + छोटी इ की मात्रा का कोड



आधे र की समस्या :
आधे र की समस्या, छोटी इ की समस्या के तरह ही, किन्तु इसके
ठीक उल्टा है।

उदाहरण :
तर्क का संस्कृत ९९ मे कोड tkR है;
कर्ता का संकेत ktaR है।

स्पष्ट है कि लिखने में जिस ब्यंजन के उपर आधा र लगाया जाता है, उसके बाद, या उस पर लगी मात्राओं के बाद आधे र का संकेत आता है।

किन्तु यूनिकोड में आधे र की स्थिति अलग है। उच्चारण की दृष्टि से आधा र, उस ब्यंजन के पहले आता है, जिसके उपर इसे लगाया जाता है। इसी लिये यूनिकोड में आधे र का कोड भी उस ब्यंजन के पहले आता है।

उदाहरण :

तर्क = त का यूनिकोड + आधे र का यूनिकोड + क का यूनिकोड

कर्ता = क का यूनिकोड + आधे र का यूनिकोड + त का यूनिकोड + आ की मात्रा का यूनिकोड


संस्कृत९९ को यूनिकोड में बदलने का प्रोग्राम का सोर्स कोड इस फाइल को वर्डपैड में खोलकर या किसी अन्य तरीके से देखा जा सकता है।


और भी कई मुद्दे हैं जैसे - लिगेसी में किस अक्षर के लिये कौन सा संकेत प्रयुक्त हुआ है, कैसे जानें ; एच टी एम एल और जावास्क्रिप्ट के किन कमाण्डों का प्रयोग किस काम के लिये करें; प्रोग्राम का फ्लोचार्ट कैसा होगा .. आदि मुद्दे अगली पोस्टों में विचारे जायेंगे।




24 October, 2007

मिडिया साक्षरता


आजकल मिडिया को लेकर सब लोग परेशान हैं। लोग मिडिया में - भ्रष्टाचार, पक्षपात, सनसनी फैलाना, अंधविश्वास को बढ़ावा देना, अनुपातहीनता, झूठी रिपोर्टिंग, आम जनता के मुद्दों की अनदेखी करने आदि सभी दुर्गुण देखने लगे हैं।

सूचना का उपयोग/उपभोग करने वाले हर व्यक्ति का सूचना साक्षर होना अत्यन्त आवश्यक है। मुझे पंचतन्त्र का एक सूत्र बहुत पसन्द है -

अज्ञातकुलशीलस्य वासो देयो न कस्यचिद्


(जिसका कुल और शील अज्ञात हो, उसको अपने घर रहने की अनुमति नहीं देनी चाहिये।)

यह सूत्र भारतीय मिडिया पर भी लागू होता है। क्या आप भारतीय मिडिया के स्वामित्व आदि के बारे में कुछ जानते हैं?

नीचे दिये हुए आंकड़े क्या कहते हैं? मुझे तो ऐसा लगता है कि भारत के अधिकांश मिडिया की लगाम अभारतीय या भारत-विरोधी हाथों में है। ऐसी दशा में इनसे क्या अपेक्षा कर सकते है?

(यह सामग्री मुझे अन्तरजाल से मिली है,
इसके बारे में मेरी खुद की जानकारी शून्य है)

"a) NDTV: Funded by Gospels of Charity in Spain
supports Communism. Recently it has developed a soft
corner towards Pakistan because Pakistan President has
allowed only this channel to be aired in Pakistan .

b) CNN-IBN: 100% Funded by Southern Baptist Church
with its branches in all over the world with HQ in US.
The Church annually allocates 800 Million Dollars for
Promotion of its channel.

c) TIMES GROUP LIST: TIMES OF INDIA, MID-DAY,
NAV-BHARTH TIMES, STARDUST, FEMINA, VIJAYA TIMES,
VIJAYA KARNATAKA, TIMES NOW (24 hr News Channel) &
many more.

Times Group is owned by Bennet & Coleman. 80% of the
Funding is done by "WORLD CHRISTIAN COUNCIL", and
balance 20% is equally shared by an Englishman and an
Italian.

D) STAR TV: Is run by an Australian, who is supported
by St.Peters Pontificial Church Melbourne.

E) HINDUSTAN TIMES: Owned by Birla Group, but hands
have changed since Shobana Bhartiya took over.
Presently it is working in Collobration with Times
Group.

F) The Hindu: A English Daily, started over 125 years
has been recently taken over by Joshua Society, Berne
, Switzerland .

G) INDIAN EXPRESS: DIVDED INTO TWO GROUPS. THE INDIAN
EXPRESS & NEW INDIAN EXPRESS (SOUTHERN EDITION). Acts
Ministries has major stake in the Indian express and
later is still with the Indian counterpart

H) EENADU : Still to date controlled by an Indian
named Ramoji Rao

I) Andhra Jyothi : The MUSLIM PARTY OF HYDERABAD known
as (MIM) along with a Congress Minister Has purchased
this Telgu daily very recently.

j) The Statesman: It is controlled by Communist Party
of India

k) Kairali TV: It is Controlled by Communist party of
India (Marxist)

l) Mathrabhoomi: leaders of Muslim league and
Communist Leaders have major investment.

m) Asian Age & Deccan Chronicle: Is owned by a Saudi
Arabian Company with its chief Editor M.J.AKBAR." Unquote



विकिपिडिया सम्पादन - बायें हाथ का खेल

यदि आपको किसी विद्यमान लेख का सम्पादन करना हो तो सीधे ''संपादित करें'' वाले बतन पर क्लिक करके शुरूहो जाइयेविकि का ''सिन्टाक्स '' सीखने का यही सबसे कारगर तरीका हैइस बटन पर क्लिक करते ही विकी कासम्पादन बक्सा खुल जाता हैआप इस पर थोड़ा सा ध्यान देंगे तो ज्यादातर सिन्टाक्स आसानी से समझ में जायेंगेऔर आप लगे हाथ इस लेख में परिवर्तन कर सकते हैं


कुछ आरम्भिक जानकारी

विकि में बिना खाता खोले भी सम्पादन किया जा सकता है

हिन्दी विकिपिडिया में अब 'इन-बिल्ट' फोनेटिक हिन्दी सम्पादित्र भी है.

पूर्वदर्शन करें - इस बटन का उपयोग करके आप जतन करने के पहले ही देख सकते हैं कि जतन करने के बादआपका लेख कैसा दिखेगा

आप बेधड़क सम्पादन कर सकते हैंजरूरी होने पर पुरानी सामग्री कभी भी बड़ी आसानी से वापस लायी जासकती हैकिसी लेख के पुराने अवतरण का स्वरूप जानने के लिये '''
पुराने अवतरण''' पर क्लिक करेंफिर जोपृष्ट आयेगा उसमें इस लेख के अनेकों पुराने अवतरण दिखाये गये होते हैंकिसी भी प्रविश्टि में (लास्ट) पर क्लिककरके आजमाइये

आपने कितना भी परिवर्तन किया और बिना 'सेव' किये वापस किस्सी और जगह चले गये तो कोई परिवर्तन नहीहोगायाने लेख अपने अपरिवर्तित रूप (पिछला रूप) में ही रहेगा

यदि आप ने विकि में अपना खाता खोल लिया है और आप ''लाग-इन'' हैं तो आप कोई 'इमेज' फाइल भी लोड करसकते हैं; किसी विद्यमान लेख का नाम भी परिवर्तित कर सकते हैं

नये लेख लिखने के लिये उद्यत सदस्य पहले उस लेख का शीर्षक विकि के खोज बक्से में लिखकर ''
खोज'' बटन कोदबायेंयदि उस शीर्षक से कोई लेख नहीं है तो वह शीर्षक लाल रंग में आयेगाउस पर क्लिक करके नया लेखलिखना आरम्भ कर सकते हैं

यदि कोई सामग्री एच टी एम एल में उपलब्ध है तो उसे विकी फार्मट में बदलने के लिये 'आनलाइन' साफ़्ट्वेयर भीउपलब्ध हैंयहाँ जाइये:

HTML to Wiki Converter

HTML to Wiki Converter - tables

विकि के बायें तरफ ''
हाल में हुए परिवर्तन'' पर क्लिक करके हाल में ही किये गये परिवर्तनों या नये योगदानों केबारे में जाना जा सकता है


23 October, 2007

हिन्दी विकिपीडिया १४००० अंक पार


खुशी की बात है कि हिन्दी विकिपीडिया निरन्तर प्रगति कर रही है। पिछले हफ्ते यह १४००० लेखों का आंकड़ा पार कर गयी।

दूसरी सबसे उत्साहजनक बात यह है कि बहुत तेजी से लोग इससे जुड़ रहे हैं। मेरा अनुमान है कि हर हफ्ते कोई २५-३० लोग औसतन जुड़ रहे हैं।

पर हिन्दीभाषियों और हिन्दी जानने वालों की संख्या उपरोक्त आंकड़ों से मेल नहीं खाती। इसमें बहुत अधिक वृद्धि होनी चाहिये।

आप भी हिन्दी विकिपीडिया से जुड़िये ना!

19 October, 2007

अन्तरजाल पर हिन्दी शब्दकोश

अन्तरजाल पर धीरे-धीरे तरह-तरह के हिन्दी शब्दकोश उपलब्ध होते जा रहे हैंयह बहुत अच्छी बात हैपर अभी भी बहुत से उपयोगी शब्दकोश और पारिभाषिक शब्दकोश उपलब्ध होने जरूरी हैंभारत सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग की ढिलाई के कारण उनके द्वारा तैयार किये गये शब्दकोश और परीभाषा कोश अन्तरजाल पर नहीं पा रहे हैं

आशा है जल्दी ही उनकी नीद टूटेगी!



हिन्दी --> हिन्दी शब्दकोश

Hindi WordNet (हिन्दी शब्दतंत्र) - A Lexical database for Hindi ( Hindi<-->Hindi )

हिन्दी --> हिन्दी विक्षनरी


हिन्दी --> अंग्रेजी शब्दकोश

शब्दमाला हिन्दी से अंग्रेजी शब्दकोश

Word AnyWhere : Hindi <--> English ; iTrans based

हिन्दी कोष एवं भाषान्तर (Webster, Online)

Online Websters Hindi (transliterated) to English Dictionary

Extended Hindi Vocabulary : अंग्रेजी में अर्थ तथा हिन्दी में वाक्य प्रयोग सहित

A Dictionary of Classical Hindi, Urdu and English : यहाँ शब्दों को देवनागरी में लिखकर उनके अर्थ खोजे जा सकते हैं। शब्दों की व्युत्पत्ति भी दी गयी है।

Universal Word : English<-->Hindi (based on UNL), for Machine Translation

हिन्दी --> अंग्रेजी शब्दकोश (from Dict.info)



अंग्रेजी --> हिन्दी शब्दकोश

Shabdakosh dot com : Eng -->Hindi (online)

Universal Word : English<-->Hindi (based on UNL), for Machine Translation

Aksharmala English to Hindi Dictionary

Eng -->Hin Dictionary (IIIT)

English-Hindi Dictionary from IIIT (download)

Unicode Eng-Hindi Dictionary

अंग्रेज़ी हिन्दी शब्दकोष पी॰डी॰ऍफ़॰ प्रारूप में

Shabdanjali English-->Hindi dictionary (online)

'Shabdanjali' English-Hindi E-Dictionary

'Shabdanjali' English-Hindi utf Source files

English --> Hindi dictionary with pronounciations ( vanasthali Vidyapeeth )

Shabdnidhi : English-->Hindi, with word usage (online)

कुशिनारा शब्दकोष अल्फा : on-the-fly Hindi meaning of English terms on a webpage

Hindi25.com Online English - English - Hindi dictionary designed specifically for mobile and Web surfers

अंग्रेजी --> हिन्दी ( iTrans - coded) शब्दकोश

पब्लिकसाफ्ट हिन्दी कोश

लघु हिन्दी कोश, रोमन लिपि

अंग्रेजी --> हिन्दी शब्दकोश (from Dict.info)



हिन्दी <--> भारतीय भाषा शब्दकोश

Bharatiya Bhasha Kosh : common platform for 14 Indian languages

Apte Sanskrit Dictionary Search (transliteration based)

Marathi-Hindi Dictionary

Kannada-Hindi Dictionary

Telugu-Hindi Dictionary

Punjabi-Hindi Dictionary

Calita Bengali-Hindi Dictionary

Dishi Bengali-Hindi Dictionary

Urdu - Hindi Shabdkosh-1

Urdu - Hindi Shabdkosh-2

A dictionary of Urdu, Classical Hindi, and English (online)

Many Dictionaries at Anukriti dot net

Online Dictionaries - Hindi Dictionaries


हिन्दी <--> गैर-अंग्रेजी विदेशी भाषा

Logos Multilingual translation Portal - यहाँ किसी भी भाषा का शब्द टाइप करके सर्च करने पर उसके विभिन्न भाषाओं में तुल्य शब्द दिये जाते हैं. इसके साथ-साथ चित्र भी दिये गये हैं। विभिन्न भाषाओं में तुल्य शब्दों के उच्चारण भी दिये गये हैं।

लोगोस् बाल शब्दकोश यहाँ अधिक प्रचलित हिन्दी शब्दों के अर्थ अनेक भाषाओं में दिये गये हैं। साथ ही शब्द से सम्बन्धित चित्र भी दिया गया है।

Dicts-dot-info - यह बहुभाषी श्ब्दकोश है जिसमे आप इच्छित भाषा चुनकर शब्द खोज सकते हैं

Hindi-Japanese-English e-dictionary : हिन्दी, अंग्रेजी, और जापानी में अर्थ तथा हिन्दी में वाक्य प्रयोग सहित

हिन्दी-अंग्रेजी-रूसी शब्दकोश : यह हिन्दी के लिये छोटे-मोटे समान्तर कोश जैसा भी काम दे सकता है।

हिन्दी-रूसी-हिन्दी श्ब्दकोश

Hindi German Dictionary


तकनीकी शब्दकोश

Glossary of Information Technology (IT)

Microsoft Terminology translation : Computer and Software Terms in Hindi and many world languages.



हिन्दी विक्शनरी पर स्थित शब्दकोश

कुछ सामान्य और सरल शब्द जो कि हर भाषा के विक्शनरी में होने चाहिए

सम्पूर्ण हिन्दी शब्द-भण्डार

सरल हिन्दी शब्दकोश : लगभग एक हजार सरल शब्दों वाला हिन्दी --> अंग्रेजी शब्दकोश

हिन्दी --> हिन्दी शब्दकोश

अंग्रेजी --> हिन्दी शब्दकोश

स्वदेश हिन्दी शब्द शतक

हिन्दी तुकान्त शब्दकोश

हिन्दी के क्रिया-पद (क्रियाएं)

पर्यायवाची शब्द

वैज्ञानिक, तकनीकी तथा अन्य शब्दावलियाँ

विशिष्ट शब्दावली : बैंकिंग, प्रशासन आदि विविध कार्य-क्षेत्रों में प्रयोग में आने वाले विशिष्ट शब्दों के लिये हिन्दी शब्द

अंग्रेजी-हिन्दी वाक्यांश कोश

हिन्दू नामावली

भोजन से सम्बन्धित शब्द




Hindi Glossaries

Download SHABDIKA from CDAC, Noida Shabdika is a collection of glossaries of Audit, Accounting, banking, Administrative, IT Terminology Terms. This software gives the Hindi translation of all the terms of different areas.Shabdika has an easy user interface.




हिन्दी की बोलियों के शब्दकोश

भोजपुरी शब्दकोश

भोजपुरी मुहावरे


हरयाणवी भाषा शब्दावली

हरयाणवी भाषा मुहावरे और लोकोक्तियां


राजस्थानी भाषा शब्दावली

राजस्थानी भाषा मुहावरे और लोकोक्तियां




Talking Dictionary

LingvoSoft Talking Dictionary 2006 , English <-> Hindi , for Windows drink




Cultural and other Dictionaries

आध्यात्मिक शब्दावली ( SWARGAAROHAN )

Glossary of Hindu cultural words

English --> Hindi glossary of food items from Diabetes India

Mamata's Kitchen Glossary ( Hindi <--> English)

The Recipe Master Glossary

Bawarchi Glossary


Hindi Thesauri

हिन्दी समान्तर कोश ( अभी अन्तरजाल पर उपलब्ध नही है)





Hindi Corpora

Indian Corpora

Hindi Corpus

EMILLE/CIIL : Monolingual written corpus data for 14 South Asian languages

Search Hindi Corpus (online) from IITB

Most Frequent Words In Indian Languages

Frequency of Words for Hindi

शब्द संचय : उचित शब्दों के प्रयोग के लिए शब्द-संग्रह उपयोगी है। आप इसमें भागिदार बन सकते हैं। आप कोई हिन्दी फाइल (टेक्स्ट या एच.टि.एम.एल.) अपलोड कर सकते हैं। आपकी फाइल मे से नए शब्दों को छाँट कर हम शब्द- संग्रह में जोडेगें जिसका उपयोग शब्द-कोष और स्पेल-चेकर में किया जायेगा।




Hindi Lexical Databases and tools

Indo WordNet Online : A Lexical Database for Hindi

'SabdaSutra' from LTRC, IIIT (online)




विविध

Historical Hindi Dictionary

WikiWords - Hindi

Multilingual Open-mind word expert खेल खेलो और दुनिया बदलो!

Similar sounding Hindi words

Romany English Dictionary

Infobank of India (Eng-->Hindi and Hindi -->Eng)

Hindi-English-Japani Dictionary

A Dictionary of Hindustani and English

English Hindi Dictionary (PDF)


10 October, 2007

यूसी बर्कली के विडियो व्याख्यान

मुक्त पाठ्य सामग्री (ओपेन कोर्सवेयर) का अभियान विश्व में शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्ति का सूत्रपात कर रहा है।

इसी सिलसिले में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कली अब अपने सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का विडियो व्याख्यान उपलब्ध कराने वाला पहला संस्थान बन गया है। ये विडियो व्याख्यान अनतरजाल की सबसे लोकप्रिय विडियो शेयरिंग साइट यूट्यूब पर उपलब्ध हैं:

http://youtube.com/ucberkeley


विडियो व्याख्यानों की सूची यहाँ भी देख सकते हैं:
http://www.jimmyr.com/free_education.php


07 October, 2007

पाँच अन्तर्राष्ट्रीय प्रयास जिनसे हिन्दी को बहुत उम्मीदें हैं

सूचना के वर्तमान युग में अनेक संस्थायें और लोग विश्व की सभी भाषाओं को विकास का समान धरातल मुहैया कराकर सबका विकास सुनिश्चित करने में जुड़े हुए हैं। इन सबके प्रयासों के बहुत ही सकारात्मक परिणाम भी आये हैं। भविष्य में इनसे और भी उम्मीदें है।

इन सभी का प्रयास अत्यन्त स्तुत्य है। इनमें से प्रमुख हैं:

१) हिन्दी विकिपीडिया

२) यूनिकोड कान्सोर्शियम्

३) विश्व व्यापी जाल कान्शोर्सियम् (W3C)

४) आइकैन (ICANN)

५) इन्टरनेशनल कम्पोनेन्ट्स फ़ार यूनिकोड (ICU)




05 October, 2007

आइकैन (ICANN) द्वारा गैर-अंग्रेजी डोमेन नामों का परीक्षण शीघ्र


अगामी हप्ते अंग्रेजी के अतिरिक्त अन्य भाषाओं में अन्तरजाल पतों का परीक्षण होने जा रहा है। इससे परिणामस्वरूप जालस्थल के साथ-साथ जाल-पते भी अन्य भाषाओं में सम्भव हो जायेंगे।

आइकैन वह संस्था है जिसको अन्तरजालीय पतों के निर्धारण का कार्य सौंपा गया है। आइकैन ने कहा है कि वह हिन्दी, अरबी, फारसी, चीनी, रूसी, जापानी, कोरियन, ग्रीक, यिद्दिश तथा तमिल में डोमेन नामों का परीक्षण करेगी।

पूरा समाचार विस्तार से पढ़ें...


30 September, 2007

हिन्दी में प्रोग्रामन


आज भटकते-भटकते एक इक्कीस वर्षीय नवयुवक की साइट पर जा पहुँचा जो हिन्दी में प्रोग्रामिंग की दिशा में कार्य कर रहा है। कहने की जरूरत नही है कि धारा की विपरीत दिशा में बढ़ने का साहस बहुत कम लोग कर पाते हैं।

इनकी अपनी साइट का नाम है - SKTNetwork . सत्य ही इन्होने इसे 'शमित कुमार तोमार अभियान' नाम दिया है।

अंग्रेजी विकिपीडिया पर भी इन्होने अपने कार्य के बारे में एक आलेख लिखा है -
Hindi Programming Language


अल्लेखनीय है कि इसी तरह का कार्य एक अन्य नौजवान अभिषेक चौधरी ने किया है। उनका हिन्दवी क्रमानुशीलन प्रणाली (प्रोग्रामिंग सिस्टम) हिन्दी के अलावा कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी है।

विश्व की अनेक गैर-अंग्रेजी भाषाओं में प्रोग्रामिंग की सुविधा उपलब्ध है। विकिपीडिया पर इसके लिये एक आलेख भी है।
Non-English-based programming languages


ये तो रही उन लोगों की बात जो सोचते हैं कि भाषायी गुलामी को स्थायी नहीं होने दिया जाना चाहिये। वे ये भी सोचते हैं कि सम्यक तरीके से योजना बनाकर इस महान कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है और इसके लिये वे इस दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही एक-एक कदम से हजारों मील की दूरी पार हो जाती है।

आप का क्या विचार है?

14 September, 2007

हिन्दी दिवस पर मेरा विकि-संकल्प


हिन्दी विकिपीडिया का काम अब काफी संतोषप्रद होता दिखायी पड़ रहा है। इस समय हिन्दी विकिपीडिया पर १३००० से अधिक आलेख लिखे जा चुके हैं


मैं इस हिन्दी दिवस पर संकल्प लेता हूँ कि अगले एक माह में हिन्दी विकिपेडिया में सौ से अधिक आलेखों का योगदान करूँगा।


26 August, 2007

गुनहुँ लिखहुँ सुनावहुँ सोई, जा बिधि बिश्व हिन्दीमय होई

कल नेट पर विचरण करते हुए मैं 'इन्टरनेट आर्काइव ' पर जा पहुंचा । वहाँ हिंदी का जो दृश्य देखा , वह बहुत उत्साहजनक है। ऐसा लगा जैसे हिंदी में कंटेंट का सृजन अब कोई मुद्दा ही नही रहा। किसी ने 'सामान्य हिन्दी' अपलोड कर रखा है तो किसी ने 'हिन्दी शिक्षण' । ये दोनों ही पुस्तके हिंदी के समग्र ज्ञान के लिए बहुत उपयोगी लगीं । किसी भाई ने तो समूची 'रश्मिरथी' को ही आडियो प्रारूप में बदलकर वहाँ डाल रखा है।

मेरे खयाल से अब हिंदी में कंटेंट सृजन के लिए 'टेक्स्ट' टाइप करने चक्कर में पडना अनावश्यक है; क्योंकि अब जगह की कमी का रोना नहीं है; किसी फाइल को अंतरजाल पर शीघ्र लोड कराने का रोना भी उतना नहीं है; किसी बड़ी से बड़ी पुस्तक को अपेक्षाकृत बहुत कम समय में स्कैन किया जा सकता है; स्कैनर न हो तो अपने डिजिटल कैमरे से ही काम चला सकते हैं; पढ़कर आडियो रेकार्डर को सुनाना भी टाईप करने से आसान काम है। सबसे बड़ी बात है की आज नहीं तो कल हिंदी के लिए अच्छे 'टेक्स्ट टू स्पीच' , 'ओ सी आर' एवं 'स्पीच टू टेक्स्ट' आदि औजार आने ही वाले हैं। तब इन्हे मनमाने प्रारूप में उपलब्ध होते देर नही लगेगी.

उधर भारत का डिजिटल पुस्तकालय भी हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं की पुस्तकों को स्कैन करके नेट पर डालने में लगा हुआ है। हिंदी में दस हजार से अधिक पुस्तकें अर्ध या पूर्ण रूप से स्कैन की जा चुकीं हैं। आपके पास भी हिब्दी की कोई अच्छी पुस्तक हो, जो कापीराईट से मुक्त हो तो उसे नेट अपर अवश्य डालिये। आप ख़ुद सोचिये की उसे हिन्दी विकिसोर्स पर डालना चाहिए, 'इन्टरनेट आर्काइव' पर डालना चाहिए या ई-स्निप्स पर, या कहीं और ।

लेकिन पुरानी पुस्तकों आदि को नेट पर डालने के अलावा हिन्दी में नयी कंटेंट भी रची जानी चाहिए जो आधुनिक समय की आवश्यकताओं के अनुरूप हो, प्रगत विचारों से भारी हुई हो, रूचिकर हो, और लाभकर हो - अर्थात 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्' की कसौटी पर खरी उतरती हो।

20 August, 2007

सभी ओर हरियाली हो, भूमि न कोई खाली हो

गायत्री परिवार गुरु पूर्णिमा से दीपावली तक हरितिमा संवर्धन अभियान चला रहा हैइसके लिये उन्होने बहुत हीसुन्दर नारे रचे हैंवृक्षों के संरक्षन और संवर्धन के सम्बन्ध में जन-चेतना फैलाना आज की महती अवश्यकता हैवृक्ष क्रुद्ध प्रकृति को शान्त कर सकते हैं तथा सुख-सौभाग्य से जन-जीवन भर सकते हैंवस्तुत: वृक्ष हमारापालन-पोषन करने वाले विष्णु है; प्रदूषण रूपी हलाहल का पान करने वाले शिव हैं


वृक्ष धरा की शान हैं
करते जन-कल्याण हैं।।

वृक्ष हमारे रक्षक हैं
हम क्यों उनके भक्षक हैं।।

बच्चा एक वृक्ष अनेक
वादा और इरादा नेक।।

प्रकृति कोप से बचना है
वृक्षारोपण करना है।।

वृक्ष अनेक लगायेंगे
भू का कर्ज चुकायेंगे ।।

काटो नहीं, लगाओ पाँच
नहीं प्रकृति पर आये आँच ।।

हरियाली से प्यार करो
उससे सारा क्षेत्र भरो ।।

चलो लगायें वृक्ष हजार
नहीं वनों का हो संहार।।

हरियाली से भूमि भरें
विविध प्रदूषण दूर करें।।

वन हैं जीवन के आधार
करें प्रदूषण का उपचार।।

बच्चे चाहें तुम्हे सतायें
वृक्ष सुनिश्चित पुण्य दिलायें।।

वृक्ष पुत्र से अच्छे हैं
पुण्य कमाऊ सच्चे हैं।।

वृक्षों को भी पुत्र बनाओ
अपना सुख सौभाग्य बढ़ाओ।।

11 August, 2007

विद्यार्जन के नवीनतम साधन और तकनीकें


परम्परागत रूप से विद्यार्जन के दो प्रमुख तरीके रहे हैं - कक्षा में बैठकर शिक्षक का व्याख्यान सुनना तथा पुस्तक से स्वाध्याय द्वारा । दोनो ही विधियों से शिक्षार्जन में बहुत सी अच्छाइयाँ हैं किन्तु उनकी कुछ उल्लेखनीय कमियाँ भी रही हैं। उदाहरण के लिये शिक्षक कक्षा में किसी चीज का दो-डाइमेंशन वाला चित्र तो येन-केन-प्रकारेण बना सकता है, किन्तु त्रि-बिमीय (three-dimensional) चित्र बनाना बहुत कठिन रहता है। पुस्तकों में फोटो और चित्र तो दिये जा सकते हैं किन्तु उनको 'एनिमेट' नहीं किया जा सकता; चाहकर भी उन्हें अलग-अलग कोण से घुमा-फिराकर नही देखा जा सकता। किसी चलती बस में पुस्तक पढ़ना दुस्कर है। साथ में आँखों पर भी जोर पड़ता है।



शिक्षा के परम्परागत साधनों की कमियों को पूरा करने के लिये अब कई नये साधन आ गये हैं। इनमें दो प्रमुख हैं - शैक्षणिक विडियो (educational video) और शैक्षणिक आडियो । कहने को तो इसमें भी कुछ नया नही है। किन्तु नया यह है कि आज की तारीख में शैक्षिक विडियो और आडियो तथा शैक्षिक पाडकास्टिंग की भरमार आ गयी है; साथ ही इन फाइलों को चलाने वाले हार्डवेयर (एम. पी.-३ प्लेयर आदि) भी जनसामान्य के लिये सर्वसुलभ और सस्ते हो चले हैं। शैक्षणिक विडियो विशेष रूप से किसी विधा की ट्रेनिंग (vocational training) देने के लिये अति उपयोगी है। इसी तरह आडियो प्रारूप में उपलब्ध सामग्री को चलते-फिरते और बिना आँखों पर जोर डाले ही 'पढ़ा' जा सकता है।


इसके अलावा सिमुलेशन (simulation) और शैक्षणिक अप्पलेट्स (applets) की भी कठिन विषयों को सीखने-सिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका है, जो परम्परागत तरीके से पूर्णत: असम्भव है।


नीचे दिये जालस्थलों पर शैक्षणिक सामग्री आडियो, विडियो या पाडकास्टिंग के रूप में उपलब्ध हैं।

Podcast directory for educators, schools and colleges

LearnOutLoud - Audio Books, Podcasts and Video You Can Learn From

Education Podcast Network

PodcastAlley.com -- The place to find Podcasts

PodcastDirectory.com - The big directory

Podcasting News

Podcasting Toolbox : 70+ Podcasting Tools and Resources

Benefits of e-लीर्निंग


नेट पर पढ़न लगे मुन्ना भाई, अल्प काल सब विद्या पाई।।


09 August, 2007

देवनागरी लिपि अपनायें


देवनागरी लिपि वैज्ञानिक, हम इसको अपनायें।

भाषाएँ अनेक भारत में,
जिनकी लिपियाँ न्यारी।
देवनागरी लिपि सर्वोत्तम,
लगती कितनी प्यारी ।।

हम सब इसको प्रतिष्ठित करने का अभियान चलायें।
देवनागरी लिपि प्रतिष्ठित, हम इसको अपनाएँ।।

स्वर, व्यंजन परिमार्जित प्रांजल,
लेखन-शैली सुन्दर ।
शब्दों का उत्तम संयोजन,
रूप विशेष मनोहर ।।

जैसा खाता लिखा उसी विधि, इसको पढ़ें-पढ़ायें ।
देवनागरी लिपि प्रतिष्ठित, हम इसको अपनाएँ।।

भारतीय भाषाएं सारी,
इसे राष्ट्र-लिपि माने।
भारतीय सब लिखें इसी में,
इसके गुण को जानें ।।

ध्वनि, वर्तनी और उच्चारण में विशेषता पायें ।
देवनागरी लिपि प्रतिष्ठित, हम इसको अपनाएँ।।

टंकण और आशुलिपि की भी,
इसमें अद्भुत क्षमता ।
संगणकों के लिये श्रेष्ठ है,
कौन कर सके समता ?

जान सकेंगे इसके द्वारा, हम समस्त भाषाएँ ।
देवनागरी लिपि प्रतिष्ठित, हम इसको अपनाएँ।।

दीर्घ-काल से हिन्दी-संस्कृत,
लिखीं इसी में जातीं
भारतीय जनता इस लिपि की,
महिमा-गरिमा गाती ।।

जन-जन में हम इसे लोक-प्रिय, करके यंत्र बनायें ।
देवनागरी लिपि प्रतिष्ठित, हम इसको अपनाएँ।।

-- विनोद कुमार पाण्देय 'विनोद'
सी-१०, सेक्टर - जे, अलीगंज, लकनऊ (उ. प्र.)


(नागरी संगम पत्रिका से साभार अनुकृत)

28 July, 2007

बिनु साधन सब सून

सभ्यता के विकास का इतिहास साधनों के विकास का इतिहास है। कम्प्यूटर और इन्टरनेट के वर्तमान युग में साफ़्टवेयर रूपी साधनों (टूल्स) की महत्ता सर्वविदित है।

मूझे किसी जालस्थल से बहुत से साधनों के संकलन की सूची मिली है। मेरा विश्वास है कि यह हम सबके लिये बहुत उपयोगी है।



PDF Toolbox : 40+ Tools to Rip, Mix and Burn PDFs

Web Design Toolbox : 50+ Tools for Web Design

30+ Plugins for Wordpress Comments

50+ Tools For Torrenting

ONLINE MEDIA GOD: 400+ Tools for Photographers, Videobloggers, Podcasters & Musicians

Online Maps: 50+ Tools and Resources

Work Together: 60+ Collaborative Tools for Groups

ONLINE PRODUCTIVITY GOD: 400+ Resources To Make You Smarter, Faster & a Demon in the Sack

30+ AJAX-Powered WordPress Plugins

70+ Tools For Job Hunting 2.0

40+ Firefox Add-ons for High Speed Blogging

20 Ways To Aggregate Your Social Networking Profiles

Online Music: 90+ Essential Music and Audio Websites

Podcasting Toolbox: 70+ Podcasting Tools and Resources

Blogging Toolbox: 120+ Resources for Bloggers

14 Personalized Homepages Compared, Feature by Feature

230+ Keyboard Shortcuts for Top Web Services

Online Photography Toolbox: 90+ Online Photography Tools and Resources

Video Toolbox: 150+ Online Video Tools and Resources

Online Productivity Toolbox: 30+ Resources to Get Things Done

The Ultimate RSS Toolbox - 120+ RSS Resources

Analytics Toolbox: 50+ Ways to Track Website Traffic

Google vs Everyone: 10 Markets Where Google Wants to Win

The Tagging Toolbox: 30+ Tagging Tools

Wiki Toolbox: 30+ Wiki टूल्स

Conversion Central: 101 Tools to Convert Video, Music, Images, PDF and More


सब कुछ करने के लिये ५००० से अधिक साधन



और अन्त में, साधनों के महत्व को प्रतिपादित करतीं कुछ सूक्तियाँ :

"Intelligence is the faculty of making artificial objects, especially tools to make tools."
-- Henri Bergson

Man is a tool-using animal. Without tools he is nothing, with tools he is all.
-- Thomas Carlyle (1795-1881) British historian and essayist.

"We shall not fail or falter; we shall not weaken or tire. Neither the sudden shock of battle nor the longdrawn trials of vigilance and exertion will wear us down. Give us the tools and we will finish the job."
-- Winston Churchhill

22 July, 2007

इ-शिक्षा सम शिक्षा नाहीं


इतिहास साक्षी है कि तकनीक के विकास ने वाणिज्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया। वर्तमान शताब्दी में लोगों को पिछली शताब्दियों की तुलना में बहुत अधिक सीखना पड़ेगा। भारत में भी शिक्षा दिन पर दिन महंगी होती जा रही है। अच्छी (अद्यतन) शिक्षा-सामग्री, पुस्तकालयों और अच्छे शिक्षकों की बहुत कमी है। ऐसी स्थिति में एलेक्ट्रानिक-शिक्षा ने शिक्षा के नये द्वार खोलकर भारत के समक्ष विश्व में ज्ञान का सिरमौर बनने का पुन: अवसर प्रदान किया है। एम.आई.टी. की अगुवाई में 'ओपेन-कोर्स' का अभियान भी उत्कृष्ट शिक्षा की दिशा में प्रभावी कदम है।




इ-शिक्षा के विभिन्न रूप:

टेक्स्ट, ध्वनि, विडियो, एनिमेशन, सिमुलेशन, स्क्रीनकास्टिंग, शैक्षिक ब्लाग, पाडकास्टिंग, आर.एस.एस., खोजी इंजन, जीवंत खोजी इंजन जैसे टेक्नोराती, सामाजिक बुकमार्किंग, इ-मेल, चर्चा-समूह, विकि, विजार्ड, प्राय: पूछे गये प्रश्न (FAQ)




पारंपरिक शिक्षा की तुलना में इ-शिक्षा के बहुत से लाभ हैं:

पाँच क : कोई भी, कभी भी, कहीं भी, किसी भी विषय का, किसी भी गति से सीख सकता है।

विद्यार्थियों का यात्रा का समय और यात्रा का खर्च बचता है।


शिक्षार्थी का सशक्तिकरण : सीखने का सम्पूर्ण नियंत्रण विद्यार्थी के हाथ में होता है। विद्यार्थी अपने ज्ञान के स्तर, अपनी रुचि, और अपनी शैक्षिक-आवश्यकता के अनुरूप सिक्षा सामग्री खुद चुनने के लिये स्वतन्त्र होता है।


सन्दर्भ के अनुरूप सहायता प्राप्त हो जाती है।

इन्टरैक्टिव : सिमुलेशन आदि को सम्मिलित कर शिक्षा को इन्टरैक्टिव बनाया जा सकता है जिससे सीखने में बहुत आसानी हो जाती है।

शिक्षा प्रदान करने के पारम्परिक तरीके (व्याख्यान, सेमिनार, ट्यूटोरियल) के अलावा ज्ञान को बोधगम्य बनाने के नये तरीके - मल्टीमिडिया, एनिमेशन, सिमुलेशन आदि

विद्यार्थियों को हाइपरलिंक की सहायता से ज्ञान के सागर में विचरण करने की स्वतन्त्रता देता है। इस प्रकार विद्यार्थी अपनी आवश्यकता की दृष्टि से यथेष्ट सिक्षा-सामग्री पर शीघ्र पहुँच जाता है।

शिक्षा-सामग्री केवल टेक्स्ट के रूप मे होने की बाध्यता नहीं होती । टेक्स्ट, चित्र, छवि, विडियो, ध्वनि, वर्चुअल रिआलिटी आदि अनेक तरीकों से शिक्षा प्रदान की जाती है।

के लिये ऐसी सामग्री बनायी जा सकती है जिसमें हर कदम बहुत विस्तार से प्रदर्शित हो - उदाहरण के लिये किसी उपकरण को रिपेयर करने की विधि विडियो तथा आडियो रूप में देना बहुत कारगर होता है।

विद्यार्थी एजुकेशनल-अप्लेट्स और सिमुलेशन प्रोग्रामों की सहायता से बहुत से प्रयोग कर सकते हैं। इससे दुर्घटना होने से बचती है; कोई सामग्री बर्बाद नहीं होती; उर्जा की बचत होती है।

विश्व-व्यापी संजाल पर उपलब्ध संसाधन अथाह हैं; इनकी सहायता से बहुत उच्च कोटि की शिक्षा-सामग्री बनायी जा सकती है।

अपने लिये उपयुक्त सीखने की शैली चुन सकता है। समझ में न आने पर कक्षा में निठल्ला बैठने जैसी स्थिति नहीं होती।

ठीक समय पर (just in time) शिक्षा

खोज की सुविधा



इतनी सारी विशेषताओं के होते हुए कोई कक्षा में बैठकर क्यों सीखे? असंख्य विषयों पर तरह-तरह की शिक्षा सामग्री अन्तरजाल पर मुफ्त में उपलब्ध है। इसलिये आप भी कहिये:

ई-शिक्षा सम शिक्षा नाहीं। अल्प काल सब शिक्षा पाहीं।।







इ-शिक्षा संदर्भ:

Electronic learning - Wikipedia, the free encyclopedia


Authentic Learning for the 21st Century - An Overview

e-Learning Site

Top 100 Open Courseware Projects

236 Open Coursewares - Take Any College Class for Free


Learning Styles Online.com - including a free inventory

Top 25 Web 2.0 Apps to Help You LEARN OEDb

Top 100 Education Blogs OEDb

Java Applets for Engineering Education

20 July, 2007

भारत के सन्दर्भ में मुक्त-स्रोत साफ़्ट्वेयर

कहते हैं कि रावण की कई आकाश छूने वाली योजनाओं में से एक थी - स्वर्ग तक सीढ़ी का निर्माण । विचार यह था कि स्वर्ग प्राप्ति के लिये किसी को कठिन परिश्रम (तप) न करना पड़े।

इस विचार में प्रबन्धन का एक बहुत बड़ा गुर छिपा हुआ है - यदि किसी बड़े, जटिल और कठिन कार्य को छोटे-छोटे भागों में बांट दिया जाय और उनको करने का सही क्रम निश्चित कर दिया जाय तो वह कार्य सरल बन जाता है।


विज्ञान और तकनीकी के पिछले एक हजार वर्ष के विकास काल में भारत गुलामी झेल रहा था। इस कारण भारत की पारंपरिक उन्मुक्त वैज्ञानिक और तकनीकी सोच को ग्रहण लगा रहा। उसका आत्मविश्वास मरणासन्न अवस्था में पहुँचा दिया गया था। किसी बहुत बड़े तकनीकी प्रोजेक्ट में सफल होने की आशा तभी की जा सकती है यदि इसके पहले इससे छोटे आकार के बहुत से प्रोजेक्ट पूरे किये गयें हों; और इसी तत्व का अभाव 'कल्चरल गैप' कहलाता है।


अब मुक्त-स्रोत साफ़्ट्वेयर की बात करते हैं। मुक्त-स्रोत साफ़्टवेयरो की अवधारणा के समर्थन में इसकी मुख्यत: निम्नलिखित अच्छाइयाँ गिनाई जाती हैं:


मुक्त-स्रोत की अवधारणा साफ़्टवेयर-प्रयोक्ता को तरहतरह की आजादी देती है(इनका मुफ़्त होना उतना महत्व नहीं रखता),


इन साफ़्टवेयरों का सोर्स-कोड सर्वसुलभ होता है,


इनको प्रदान करने के बदले कोई मूल्य नहीं लिया जाता,


इनका उपयोग स्वेच्छा से किसी भी काम के लिये किया जा सकता है,


इसे किसी अन्य व्यक्ति को देने की मनाही नहीं होती,


सोर्स-कोड की खुली उपलब्धता के कारण इसमें कोई ऐसी असुरक्षा नहीं रह सकती जो प्रयोक्ता को पता न हो,


प्रोग्राम के कार्य करने के तरीके का अध्ययन करके उसे अपनी आवश्यकता और पर्यावरण के अनुरूप ढालने की आजादी,


किसी वेंडर का बन्धुआ-प्रयोक्ता न बनने की आजादी,


कम समय में विशाल प्रोग्राम बनाने की आजादी - विशाल प्रोग्राम से आरम्भ करके विशालतर प्रोग्राम बनाने की आजादी, क्योंकि शून्य से आरम्भ नहीं करना पड़ता ,


क्रमिक विकास (evolution) आसान और स्वाभाविक है, क्रान्ति कठिन है,

मुक्त-स्रोत का 'गोंद' आज का सर्वश्रेष्ठ गोंद (glue) है,


भारत की दृष्टि से साफ़्टवेयरों के सोर्स-कोड का सर्वसुलभ होना बहुत अर्थपूर्ण है। भारत को साफ़्टवेयर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनना है तो मुक्त-स्रोत साफ़्टवेयरों के कन्धे पर चढ़कर ही यह उंचाई हासिल की जा सकती है। 'कल्चरल गैप' के श्राप से ग्रसित किसी भी देश के लिये शून्य से आरम्भ करके बड़ा साफ़्टवेयर बनाना अत्यंत कठिन है।


आज हमारे देश में लाखों की संख्या में छात्र प्रोग्रामिंग से अवगत हैं। किन्तु उनके सामने कोई बड़ा साफ़्टवेयर-निर्माण का लक्ष्य न होने के कारण उनकी योग्यता का समुचित उपयोग ही नहीं हो पाता। सीखने की दृष्टि से भी मुक्त-स्रोत सर्वोत्तम साधन हैं। वे साक्षात और जीवंत उदाहरण हैं। दर्जनों किताबें पढ़ने के बजाय किसी साफ़्टवेयर के कोड का अध्ययन करना और उसके कार्य करने का तरीका समझकर उस साफ़्टवेयर में अपनी आव्श्यकतानुसार कुछ जोड़ घटाकर काम बना लेना ज्यादा कारगर है।


07 July, 2007

अन्तरजाल पर हिंदी कैसे पसरे ?

  1. अपने मित्र को हिन्दी (देवनागरी) में मेल लिखिये। उसे आश्चर्यचकित करिये।


  2. किसी हिन्दी समझने वाले के अंगरेजी ब्लाग पर हिन्दी में टिप्पणी लिखिये।


  3. विभिन्न चरचा समूहों पर हिन्दी के कुछ अति महत्वपूर्ण साइटों के लिंक प्रेषित करके कुछ लोगों की कूपमण्डूकता खत्म कीजिये।


  4. हिन्दी के पत्र-पत्रिकाओं में सम्पादक के नाम पत्र में इण्टरनेट पर हिन्दी की स्थिति के बारे में बताइये। हिन्दी के कुछ महत्वपूर्ण साइटों की लिंक भी लिख भेजिये।


  5. अपने मित्रों को हिन्दी इंटरफेस वाला कोई अनुप्रयोग या साफ़्टवेयर चलाकर दिखाइये। उनका अज्ञान्धता मिटाइये।


  6. हिन्दी प्रेमियों के सामने एक पवित्र लक्ष्य रखा जाय - भारत में जिस प्रकार से प्रिन्ट माध्यमो में हिन्दी का वर्चस्व है, वैसी ही स्थिति अन्तरजाल पर भी निर्मित करनी है।


  7. उत्साही छात्रों को उनके प्रोजेक्ट के रूप में हिन्दी का कोई टूल विकसित करने का कार्य दीजिये। भारत में इस समय हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष इंजीनियरिंग कालेजों में भर्ती हो रही है। जरा गौर कीजिये उनके प्रोजेक्ट कितने सार्थक रहते हैं।


  8. यह कहने के बजाय कि कम्प्यूटर पर हिन्दी में काम करना सम्भव है और आसान है, किसी को हिन्दी में काम करते हुए बताइये।


  9. लोगों को ट्रान्सलिटरेशन के कांसेप्ट से अवगत कराइये। उन्हे बताइये कि हिन्दी टाइपिंग के अभ्यास के बिना भी हिन्दी में तेज गति से टाइप किया जा सकता है।


  10. लोगों को समझाइये कि हमारा कर्तव्य है कि हम दूसरे लोगों से प्राप्त और दूसरी भाषाओं में उपलब्ध जानकरी का उपभोग करें और उसके बदले में अपने लोगों के लिये उनकी भाषा में और अच्छी जानकरी की रचना करें ( इंग्लिश में लें, हिन्दी में लौटायें) । किसे भी समाज के लिये सूचना का केवल उपभोग ठीक नहीं है, सूचना और ज्ञान का सृजन (उत्पादन) करना भी जरूरी है।

05 July, 2007

सुनो साधु , धर्म-सर्वस्वम्

धर्म की कसौटी

श्रूयतां धर्मसर्वस्वं, श्रूत्वा चैव अनुवर्त्यताम् ।
आत्मनः प्रतिकूलानि परेशां न समाचरेत् ।।
--- महर्षि वेद व्यास

( धर्म का सर्वस्व क्या है , सुनो ! और सुनकर इसका अनुगमन करो । जो आचरण स्वयं के प्रतिकूल हो , वैसा आचरण दूसरों के साथ नहीं करना चाहिये । )



धर्म के लक्षण

मनु स्मृति में मनु कहते हैं -

धृति क्षमा दमोस्तेयं, शौचं इन्द्रियनिग्रहः ।
धीर्विद्या सत्यं अक्रोधो, दसकं धर्म लक्षणम ॥
( धर्म के दस लक्षण हैं - धैर्य , क्षमा , संयम , चोरी न करना , स्वच्छता , इन्द्रियों को वश मे रखना , बुद्धि , विद्या , सत्य और क्रोध न करना ( अक्रोध ) )



तुलसी का धर्म-रथ

रामचरितमानस के लंका काण्ड में गोस्वामी तुलसीदास ने धर्म का रथ के रूप में बड़ा ही सुन्दर चित्रण किया है । प्रसंग है - युद्ध में रावण रथ पर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होकर आता है ; राम बिना रथ के ही हैं ..

रावण रथी बिरथ रघुबीरा। देखि बिभीषन भयउ अधीरा।।
अधिक प्रीति मन भा संदेहा। बंदि चरन कह सहित सनेहा।।
नाथ न रथ नहिं तन पद त्राना। केहि बिधि जितब बीर बलवाना।।
सुनहु सखा कह कृपानिधाना। जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना।।

सौरज धीरज तेहि रथ चाका । सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका ।।
बल बिबेक दम परहित घोरे । छमा कृपा समता रजु जोरे ।।
ईस भजनु सारथी सुजाना । बिरति चर्म संतोष कृपाना ।।
दान परसु बुधि सक्ति प्रचंड़ा । बर बिग्यान कठिन कोदंडा ।।
अमल अचल मन त्रोन समाना । सम जम नियम सिलीमुख नाना ।।
कवच अभेद बिप्र गुर पूजा । एहि सम बिजय उपाय न दूजा ।।
सखा धर्ममय अस रथ जाकें । जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें ।।

महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर ।
जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर ।।




सर्वश्रेष्ठ धर्म ( परम् धर्म)

इसके अलावा शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ धर्म को लेकर बहुत चर्चा हुई है । कोई अहिंसा को सबसे बड़ा धर्म मानता है तो कोई परोपकार को; कोई सत्य को पर्म् धर्म कहता है तो कोई आचार को ।

अहिंसा परमो धर्म: ।
परहित सरिस धरम नहिं भाई ।
-- तुलसीदास

धरमु न दूसर सत्य समाना ।
आगम निगम पुरान बखाना ।।
-- तुलसीदास

नहि सत्यात् परो धर्म: त्रिषु लोकेषु विद्यते।

आचार: परमो धर्म:।




समाजिक सुव्यवस्था का साधन - धर्म

'राज्य' की निर्मिति के सम्बन्ध में महाभारत के शान्तिपर्व में सार्थक चर्चा आयी है । महाराज युधिष्ठिर, शरशय्या पर पड़े भीष्म पितामह से पूछते हैं कि ''पितामह, यह तो बताइये कि राजा, राज्य कैसे निर्माण हुये ?'' भीष्म पितामह का उत्तार प्रसिध्द है । उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा था कि जब कोई राजा नहीं था; राज्य नहीं था; दण्ड नहीं था; दण्ड देने की कोई रचना भी नहीं थी । सारी जनता धर्म के द्वारा ही एक दूसरे की रक्षा कर लेती थी

न वै राज्यं न राजाऽसीत्, न दण्डो न च दाण्डिक :।
धर्मेणैव प्रजा: सर्वा, रक्षन्ति स्म परस्परम् ॥




साधु/सज्जन को धर्म द्वारा अभय की घोषणा (वादा)

धर्मो रक्षति रक्षित: ।
(धर्म की रक्षा करने पर धर्म भी मनुष्य की रक्षा करता है)

यदा यदा हि धर्मस्य, ग्लानिर्भवति भारत ।
अभ्युत्थानमधर्मस्य, तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।
परित्राणाय साधुनां, विनाशाय च दुस्कृताम् ।
धर्म संस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे ।।




धर्म और मजहब में बहुत अन्तर है

जैसे धर्मयुद्ध जिहाद नहीं है वैसे ही धर्म और मजहब बिलकुल अलग-अलग कांसेप्ट हैं; यहां तक कि कभी-कभी मजहब धर्म का बिलोम भी बन जाता है ।

धर्म किसी कर्मकाण्ड, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा, लकीर-की-फकीरी, रूढ़िवाद आदि का नाम नहीं है । यहां तक कि धर्म ईश्वर से भी स्वतन्त्र कांसेप्ट है । धर्म की धारणा नितान्त सेक्युलर धारणा है ।

01 July, 2007

अमिताभ और हिन्दी कम्प्यूटिंग

कुछ भी हो यह जानकर बहुत खुशी हुई कि भारतीयों के दिलों पर राज करने वाले अपने अमित भैया हिन्दी कम्प्यूूटिंग की वर्तमान स्थिति पर नजर रखे हुए हैं

नवभारत टाइम्स की ५७वीं वर्षगांठ के अवसर पर अपने व्याख्यान में अमिताभ ने कहा कि आजकल ऐसा साफ़्टवेयर उपलब्ध है जिसके सहारे रोमन में टाइप करने से ही देवनागरी में लिख देता हैउनका इशारा निश्चित ही लिप्यंतरण पर आधारित ध्वन्यात्मक देवनागरी सम्पादित्रों की तरफ थाउनका यह कहना कि रोमन के सहारे देवनागरी लिखने से देवनागरी को चोट पहुंच रही है, काफी हद तक ठीक हैकिन्तु यह भी नहीं भूलना चाहिये कि जो अपने पैर पर खड़ा होकर नहीं चल सकता उसे बैशाखी के सहारे चलाने के अच्छे परिणाम ही आते हैं - बैशाखी आदमी को स्थायी रूप से अचल बनने से बचा लेती हैलेकिन जिनके पैर बिलकुल ठीक हैं उन्हे बैसाखी देना निश्चय ही उन्हें अपंग बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना है

कम्प्यूटर पर देवनागरी लिखने के लिये सही तरीका चुनने की नीति यही होनी चाहिये कि जो लोग केवल रोमन की-बोर्ड में अभ्यस्त हैं वे देवनागरी लिखने के लिये 'ट्रान्सलिटरेशन पर आधारित ध्वन्यात्मक टूल' प्रयोग करें जबकि उन लोगों के लिये जिनके हाथ अभी 'रोमन-पैरालिसिस' के शिकार नहीं हुए हैं वे देवनागरी के लिये बनाये गये विशिष्ट कुंजी-पटल (जैसे इन्स्क्रिप्ट) का ही इस्तेमाल करेंमार्क ट्वेन की इस सूक्ति में यही समाधान छिपा हुआ है:

"Blessed are the flexible, for they shall not be bent out of shape।"
( वे धन्य हैं जो लचीले हैं, क्योंकि वे बेढंग रूप में नहीं मोड़े जायेगें। )