06 January, 2021

गलती से डिलीट हो गए मेरे पुराने पोस्टों की पुनर्प्राप्ति : इंटरनेट आर्काइव के सौजन्य से

दो वर्ष पहले  ब्लॉग का टेम्पलेट बदलने की  की कोशिश  रहा था।   सहसा पाया कि कुछ पोस्ट गए।  क्या हुआ था, पूरा समझ में नहीं आया।  बाद में ब्लॉगर  वालों को भी लिखा लेकिन कोई उत्तर नहीं  मिला,   न ही मेरे  पोस्ट मिले। 

यह सोचते हुए संतोष कर लिया कि चलो पूरा गायब नहीं हुआ, बहुत कुछ बच गया। 

पिछले हप्ते इंटरनेट आर्काइव के बारे में पढ़ रहा था जिससे पता चला कि ये लोग केवल पुस्तकों का डिजिटलीकरण करके उनका संग्रह ही नहीं करते बल्कि ब्लॉग और अन्य वेबसाइटॉं का भी सुरक्षण करते हैं। बस क्या था, अपने डिलीट हुए पोस्टोम की खोज पर निकल पड़ा । 

गूगल में internet archive & pratibhaas.blogspot.com डलने पर कुछ नहीं मिला। इसके बाद इन्टरनेट आर्काइव की साइट पर गया। वहाँ उनके खोज बक्से में 'pratibhaas.blogspot.com' डाला। आश्चर्यचकित करने वाला परिणाम मिला। देखा कि मेरे सभी ब्लॉग-पोस्ट यहाँ सुरक्षित हैं।  तुरन्त इन्हें एक-एक करके डाउनलोड किया।  

इसके बाद देखा कि ब्लॉगर में पुरानी तिथि और समय पर भी ब्लॉग पोस्ट किया जा सकता है (और भविष्य की तिथि में भी) । एक पोस्ट पुराने तिथि में पोस्ट भी कर दिया। बाद में देखा तो कमेन्ट्स को भी इसमें साथ में पोस्ट किया जा सकता है। 

कुल मिलाकर बड़ा आनन्द आया। इसके बाद मुझे लगा कि इन्टरनेट आर्काइव वाले कितना बड़ा काम कर रहे हैं! उनके द्वारा सुरक्षित किए गए पुस्तकों और वेबपृष्ठों की संख्या करोड़ों और अरबों में है। 

03 January, 2021

परीक्षण : ब्लॉगर में स्क्रिप्ट अन्तस्थ (इम्बेड) करना

Brahmic Script to other Brahmic Script Converter

Input text in some Brahmic script


Output text-box


13 November, 2020

प्राचीन भारतीय तकनीकी शब्दावली

अंशुबोधिनी नामक  के बारे में पढ़ रहा था।  उसके अध्यायों के नाम पढ़कर सहसा लगा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों से वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली छांटकर  संकलित करना बहुत उपयोगी रहेगा।  जब भी किसी ज्ञान विज्ञान का विकास  होता है तब शब्दावली  साथ  जाती है  या यों  कहें कि शब्दावली और ज्ञान -विज्ञान एक साथ विक्सित होते हैं आगे-पीछे  नहीं।

प्राचीन भारतीय तकनीकी शब्दावली को संकलित  लाभ होंगे. इससे भारत    के प्राचीन तकनीकी और  प्रौद्योगिकीय विकास  वास्तविक चित्र  सामने आएगा, हमें किस प्रकार से तकनीकी शब्दों का निर्माण करना चाहिए-  इसका दिशाबोध मिलेगा. प्राचीन भारतीय किस प्रकार से  विषयों पर लिखते थे,   यह पता चलेगा। उनकी अध्याय-योजना कैसी होती थी- यह पता   चलेगा।

सबसे पहले तो अंशुबोधिनी के आठ प्रकार  नाम देखिए-

      शक्त्युद्गमो भूतवाहो धूमयानश्शिखोद्गमः। अंशुवाहस्तारामुखो मणिवाहो मरुत्सखः॥
 
अर्थात,   शक्त्युद्गमः  भूतवाहः धूमयानः शिखोद्गमः अंशुवाहः तारामुखः मणिवाहः  और मरुत्सखः नामक ८ प्रकार के विमान  होते हैं। 

विमान के ३२ रहस्य

वैमानिक शास्त्र नामक ग्रन्थ में विमानचालक (पाइलॉट) के लिये ३२ रहस्यों (systems) की जानकारी आवश्यक बतायी गयी है। इन रहस्यों को जान लेने के बाद ही पाइलॉट विमान चलाने का अधिकारी हो सकता है। ये रहस्य निम्नलिखित हैं-

मांत्रिक, तान्त्रिक, कृतक, अन्तराल, गूढ, दृश्य, अदृश्य, परोक्ष, संकोच, विस्तृति, विरूप परण, रूपान्तर, सुरूप, ज्योतिर्भाव, तमोनय, प्रलय, विमुख, तारा, महाशब्द विमोहन, लांघन, सर्पगमन, चपल, सर्वतोमुख, परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियाग्रहण, दिक्प्रदर्शन, आकाशाकार, जलद रूप, स्तब्धक, कर्षण। 
 
बाद में इंटरनेट पर देखा तो एक अच्छी  संस्कृत तकनीकी शब्दावली भी मिली-
http://www.hamsi.org.nz/p/blog-page_19.html