अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।
30 September, 2007
हिन्दी में प्रोग्रामन
आज भटकते-भटकते एक इक्कीस वर्षीय नवयुवक की साइट पर जा पहुँचा जो हिन्दी में प्रोग्रामिंग की दिशा में कार्य कर रहा है। कहने की जरूरत नही है कि धारा की विपरीत दिशा में बढ़ने का साहस बहुत कम लोग कर पाते हैं।
इनकी अपनी साइट का नाम है - SKTNetwork . सत्य ही इन्होने इसे 'शमित कुमार तोमार अभियान' नाम दिया है।
अंग्रेजी विकिपीडिया पर भी इन्होने अपने कार्य के बारे में एक आलेख लिखा है -
Hindi Programming Language
अल्लेखनीय है कि इसी तरह का कार्य एक अन्य नौजवान अभिषेक चौधरी ने किया है। उनका हिन्दवी क्रमानुशीलन प्रणाली (प्रोग्रामिंग सिस्टम) हिन्दी के अलावा कई अन्य भारतीय भाषाओं में भी है।
विश्व की अनेक गैर-अंग्रेजी भाषाओं में प्रोग्रामिंग की सुविधा उपलब्ध है। विकिपीडिया पर इसके लिये एक आलेख भी है।
Non-English-based programming languages
ये तो रही उन लोगों की बात जो सोचते हैं कि भाषायी गुलामी को स्थायी नहीं होने दिया जाना चाहिये। वे ये भी सोचते हैं कि सम्यक तरीके से योजना बनाकर इस महान कार्य को सम्पन्न किया जा सकता है और इसके लिये वे इस दिशा में कदम भी बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही एक-एक कदम से हजारों मील की दूरी पार हो जाती है।
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10 comments:
साधु साधु!!
सलाम इन दोस्तों को!!
अच्छा लगा यह जान कर. मैं इसे भाषाई आजादी या गुलामी से जोड़ कर नहीं, रचनात्मकता के उदाहरण के रूप में लेता हूं.
क्या विरोधाभास है.
आज तो मैं एक ब्लाग पर ये पढ़ कर आया हूं कि हमारे ब्लाग्स पर पाठक बढ़ाने के लिये एग्रीगेटर देवनागरी की जगह रोमन में लाये जायें और उस पर पुराने ब्लागर्स तालियां भी बजा रहे हैं।
एसे दुष्कर्मों के बीच शमित कुमार का अभियान रेगिस्तान में पानी की बूंद की तरह दिखता है।
इनको सलाम
आभार, इस जानकारी के लिये. अति साधुवादी कार्य. प्रशंसनीय.
वाह बहुत अच्छी जानकारी दी अनुनाद जी। इन दो नौजवानों के प्रयास की सराहना की जानी चाहिए।
हिन्दी में प्रोग्रामिंग पुराने प्रोग्रामरों को ज्यादा पसन्द नहीं आएगी क्योंकि एक तो वो अंग्रेजी के Syntax के अभ्यस्त हैं, दूसरे कोडिंग के काम में हिन्दी के प्रयोग से वर्तनी संबंधी भिन्नता होने से काम मुश्किल हो जाएगा। उदाहरण के लिए पंडित और पण्डित शब्द दो भिन्न रुप से लिखा जाता है। ऐसे में या तो सभी Commands Words के मानक Syntax तैयार करने होंगे, और उन्हें रटना पड़ेगा, जो कि हिन्दी की जैसा बोला वैसा लिखा (ध्वन्यात्मकता) का फायदा खत्म कर देगा।
दूसरा तरीका होगा कि शब्दों के सभी एकाधिक रुपों को Syntax में शामिल किया जाए। ऐसे में काम तो लम्बा होगा ही, भाषा का डैवलपमेंट भी मुश्किल हो जाएगा तथा रिसोर्स भी ज्यादा लगेंगे शायद।
इसके अलावा जो आम प्रोग्रामिंग भाषाएँ हैं उनका सतत विकास चलता रहता है। जबकि हिन्दी प्रोग्रामिंग भाषा का शौक पूरा होने पर विकास अवरुद्ध हो जाएगा। ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि SourceForge.NET पर Indic Computing संबंधी अधिकतर प्रोजैक्ट शिथिल हो चुके हैं। अब जो मैने स्ट्रीम भाषाएँ हैं .NET, JAVA आदि इनकी स्वामी कंपनियाँ तो बड़ी आसामी है और इनके साथ तो अर्थ का मामला भी जुड़ा है इसलिए इनमें तो ऐसी कोई बात नहीं लेकिन उपरोक्त हिन्दी भाषा का भविष्य संशयपूर्ण है। ये कहीं एक सैम्पल यादगार की चीज बनकर न रह जाए।
इसलिए मेरा ख्याल है कि हिन्दी में प्रोग्रामिंग भाषा केवल वर्ग विशेष को ही फायदा पहुँचाएगी। प्रोफैशनल प्रोग्रामर शायद ही इसमें रुचि दिखाएँ।
कृपया मेरी बातों को नकारात्मक रुप में न लें। हो सकता है मेरे विचार गलत साबित हों और मैं चाहता भी यही हूँ। मैं तो बस उपरोक्त बात को वर्तमान हालात की कसौटी पर कस रहा हूँ। मै स्वयँ यह समाचार जानकर बहुत खुश हूँ। मैं स्वयँ चाहता हूँ कि कम्प्यूटर पर अंग्रेजी की दलाली खत्म् हो और हिन्दी का सीधा संबंध Machine Language से हो। और उम्मीद तो कायम है ही, हर चीज की शुरुआत छोटे स्तर से ही होती है। पर मेरा ख्याल है अभी इसका परिणाम और सार्थकता दिखने में समय लगेगा।
जिस काम को आज़ादी के बाद जवाहर लाल जी ने नहीं होने दिया वो अब हो रहा है वो भी युवा पीढी के द्वारा यह जान कर अच्छा लगा। ईश्वर इन कर्मठ, जुझारू और प्रतिभावान मित्रो को तरक्की दे।
और इनके बारे मे लिख कर सभी को इनके कार्य की जानकारी देने और इनका उत्साहवर्धन करने के लिये साधुवाद
@ श्रीश जी,
हिन्दी में प्रोग्रामन 1988 से GIST CARD युग से ही कमोबेश होता आ रहा है। Java, C++ से लेकर .NET तक सभी में हिन्दी में भी प्रोग्रामिंग की जा सकती है। रही बात BASIC LATIN (U0000-007F) range में ही सीमित Commands तथा sytax की, फिलहाल वे ज्यों के त्यों रखे जा रहे हैं। BIT, Pilani के विद्यार्थियों द्वारा एक हिन्दी OS भी बनाया गया था। हालांकि फिलहाल देवनागरी का तकनीकी सरलीकरण भी जारी है।
हिन्दी को बढावा देने वालों की जितनी तारीफ की जाय उतनी कम है। कम से कम अपनी भाषा को लेकर कभी तो हमारा सिर गर्व से उंचा होगा।
c प्रोग्रामिंग सैंपल प्रोग्राम
सी भाषा में सरल पाठ संपादक
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