इतिहास साक्षी है कि तकनीक के विकास ने वाणिज्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया। वर्तमान शताब्दी में लोगों को पिछली शताब्दियों की तुलना में बहुत अधिक सीखना पड़ेगा। भारत में भी शिक्षा दिन पर दिन महंगी होती जा रही है। अच्छी (अद्यतन) शिक्षा-सामग्री, पुस्तकालयों और अच्छे शिक्षकों की बहुत कमी है। ऐसी स्थिति में एलेक्ट्रानिक-शिक्षा ने शिक्षा के नये द्वार खोलकर भारत के समक्ष विश्व में ज्ञान का सिरमौर बनने का पुन: अवसर प्रदान किया है। एम.आई.टी. की अगुवाई में 'ओपेन-कोर्स' का अभियान भी उत्कृष्ट शिक्षा की दिशा में प्रभावी कदम है।
इ-शिक्षा के विभिन्न रूप:
टेक्स्ट, ध्वनि, विडियो, एनिमेशन, सिमुलेशन, स्क्रीनकास्टिंग, शैक्षिक ब्लाग, पाडकास्टिंग, आर.एस.एस., खोजी इंजन, जीवंत खोजी इंजन जैसे टेक्नोराती, सामाजिक बुकमार्किंग, इ-मेल, चर्चा-समूह, विकि, विजार्ड, प्राय: पूछे गये प्रश्न (FAQ)
पारंपरिक शिक्षा की तुलना में इ-शिक्षा के बहुत से लाभ हैं:
पाँच क : कोई भी, कभी भी, कहीं भी, किसी भी विषय का, किसी भी गति से सीख सकता है।
विद्यार्थियों का यात्रा का समय और यात्रा का खर्च बचता है।
शिक्षार्थी का सशक्तिकरण : सीखने का सम्पूर्ण नियंत्रण विद्यार्थी के हाथ में होता है। विद्यार्थी अपने ज्ञान के स्तर, अपनी रुचि, और अपनी शैक्षिक-आवश्यकता के अनुरूप सिक्षा सामग्री खुद चुनने के लिये स्वतन्त्र होता है।
सन्दर्भ के अनुरूप सहायता प्राप्त हो जाती है।
इन्टरैक्टिव : सिमुलेशन आदि को सम्मिलित कर शिक्षा को इन्टरैक्टिव बनाया जा सकता है जिससे सीखने में बहुत आसानी हो जाती है।
शिक्षा प्रदान करने के पारम्परिक तरीके (व्याख्यान, सेमिनार, ट्यूटोरियल) के अलावा ज्ञान को बोधगम्य बनाने के नये तरीके - मल्टीमिडिया, एनिमेशन, सिमुलेशन आदि
विद्यार्थियों को हाइपरलिंक की सहायता से ज्ञान के सागर में विचरण करने की स्वतन्त्रता देता है। इस प्रकार विद्यार्थी अपनी आवश्यकता की दृष्टि से यथेष्ट सिक्षा-सामग्री पर शीघ्र पहुँच जाता है।
शिक्षा-सामग्री केवल टेक्स्ट के रूप मे होने की बाध्यता नहीं होती । टेक्स्ट, चित्र, छवि, विडियो, ध्वनि, वर्चुअल रिआलिटी आदि अनेक तरीकों से शिक्षा प्रदान की जाती है।
के लिये ऐसी सामग्री बनायी जा सकती है जिसमें हर कदम बहुत विस्तार से प्रदर्शित हो - उदाहरण के लिये किसी उपकरण को रिपेयर करने की विधि विडियो तथा आडियो रूप में देना बहुत कारगर होता है।
विद्यार्थी एजुकेशनल-अप्लेट्स और सिमुलेशन प्रोग्रामों की सहायता से बहुत से प्रयोग कर सकते हैं। इससे दुर्घटना होने से बचती है; कोई सामग्री बर्बाद नहीं होती; उर्जा की बचत होती है।
विश्व-व्यापी संजाल पर उपलब्ध संसाधन अथाह हैं; इनकी सहायता से बहुत उच्च कोटि की शिक्षा-सामग्री बनायी जा सकती है।
अपने लिये उपयुक्त सीखने की शैली चुन सकता है। समझ में न आने पर कक्षा में निठल्ला बैठने जैसी स्थिति नहीं होती।
ठीक समय पर (just in time) शिक्षा
खोज की सुविधा
इतनी सारी विशेषताओं के होते हुए कोई कक्षा में बैठकर क्यों सीखे? असंख्य विषयों पर तरह-तरह की शिक्षा सामग्री अन्तरजाल पर मुफ्त में उपलब्ध है। इसलिये आप भी कहिये:
ई-शिक्षा सम शिक्षा नाहीं। अल्प काल सब शिक्षा पाहीं।।
इ-शिक्षा संदर्भ:
Electronic learning - Wikipedia, the free encyclopedia
Authentic Learning for the 21st Century - An Overview
e-Learning Site
Top 100 Open Courseware Projects
236 Open Coursewares - Take Any College Class for Free
Learning Styles Online.com - including a free inventory
Top 25 Web 2.0 Apps to Help You LEARN OEDb
Top 100 Education Blogs OEDb
Java Applets for Engineering Education
1 comment:
भारत जैसे देश में ईशिक्षा बहुत उपयोगी साबित हो सकती है, बस जरुरत है सही संसाधनों की।
अच्छी जानकारी दी, धन्यवाद!
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