गायत्री परिवार गुरु पूर्णिमा से दीपावली तक हरितिमा संवर्धन अभियान चला रहा है। इसके लिये उन्होने बहुत हीसुन्दर नारे रचे हैं। वृक्षों के संरक्षन और संवर्धन के सम्बन्ध में जन-चेतना फैलाना आज की महती अवश्यकता है। वृक्ष क्रुद्ध प्रकृति को शान्त कर सकते हैं तथा सुख-सौभाग्य से जन-जीवन भर सकते हैं। वस्तुत: वृक्ष हमारापालन-पोषन करने वाले विष्णु है; प्रदूषण रूपी हलाहल का पान करने वाले शिव हैं।
वृक्ष धरा की शान हैं।
करते जन-कल्याण हैं।।
वृक्ष हमारे रक्षक हैं ।
हम क्यों उनके भक्षक हैं।।
बच्चा एक वृक्ष अनेक ।
वादा और इरादा नेक।।
प्रकृति कोप से बचना है ।
वृक्षारोपण करना है।।
वृक्ष अनेक लगायेंगे ।
भू का कर्ज चुकायेंगे ।।
काटो नहीं, लगाओ पाँच ।
नहीं प्रकृति पर आये आँच ।।
हरियाली से प्यार करो ।
उससे सारा क्षेत्र भरो ।।
चलो लगायें वृक्ष हजार।
नहीं वनों का हो संहार।।
हरियाली से भूमि भरें ।
विविध प्रदूषण दूर करें।।
वन हैं जीवन के आधार।
करें प्रदूषण का उपचार।।
बच्चे चाहें तुम्हे सतायें।
वृक्ष सुनिश्चित पुण्य दिलायें।।
वृक्ष पुत्र से अच्छे हैं।
पुण्य कमाऊ सच्चे हैं।।
वृक्षों को भी पुत्र बनाओ।
अपना सुख सौभाग्य बढ़ाओ।।
7 comments:
अच्छा सरल सन्देश..
गायत्री परिवार के लोग इस तरह पर्यावरण की बात करें सरकार उद्योग लगाकर विकास कर लेगी. उनके हिसाब से पर्यावरण जाए भाड़ में. ज्यादा चिंता होगी तो यूके लिप्टस और बबूल लगवा देंगे पूरे देश में.
गायत्री परिवार ने कुछ बड़े काम किए हैं। जिन मंत्रों को ब्राह्मणों ने अपनी जागीर बना रखी है, उसे इसने आमलोगों तक पहुंचा दिया। परंपराओं को नए माहौल में इसने सार्थक बनाने का प्रयास किया है। नई पहल भी उसकी एक अच्छी पहल है।
सरलता आपकी कवित की सबसे आकर्षक भाग हैं।
बहुत अच्छी लगी…
very good keep going
अनुनाद जी,
इतने सरल शब्दों में कह दी
बात,
कि बच्चे भी समझ जायें
असल बात.
छिपा दिया इन वाक्यों में
इतना बडा मर्म
कि ज्ञानी को भी लगे
काफी समय,
समझने में उनका
पूरा मर्म !
अभार के साथ, प्रकृतिप्रेमी
-- शास्त्री जे सी फिलिप
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
http://www.Sarathi.info
धरती पर हरियाली हो, चहून ओर खुशियाली हो
अच्छा संकलन किया है अनुनाद जी आपने इन नारों की अनुगूंज आने वाले समय मे हर तरफ़ से आती रहे यही कामना है.
सादर
अरविंद
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