हमारे पूर्वज परमार्थ ( सबसे उत्तम उद्देश्य ) की बात करते थे | चर्चा करते रहते थे कि कौन सा काम सबसे अच्छा है | मेरा जाल-जीवन कुछ इस माडल पर आधारित होगा:
1. जाल-युग का सत्संग
जाल पर एक से बढकर एक गुणी जन विद्यमान हैं | उनसे विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा| इस अर्थ में चिट्ठाकारी सत्संग का काम करेगी|
2. चिट्ठाकारि के द्वारा हम अपने विचारों को तिनका-तिनका जोडकर मोटी रस्सी का रूप दे सकते हैं | इस अर्थ में चिट्ठा हमारे विचारों के सन्चायी (agregator) की तरह काम करेगा | इसके साथ ही यह हमारे विचारों का सुरक्षित भन्डारण कर उन्हे विलुप्त या नष्ट होने से बचायेगा|
3. नये विचार ध्यानपुर्वक चिन्तन के फलस्वरूप जन्म लेते हैं | इस क्रिया मे दूसरों के विचार ही प्रायः बीज का काम करते हैं | कुछ लिखने की कोशिश का अर्थ है अपनी चिन्तन-शक्ति को चुनौती देना |
4. और अंत में मिलकर काम करने का आनन्द लेना | सम्मिलित कार्य के गुण ( परिणाम ) अनेक गुणित हो जाते हैं |
12 comments:
अनुनाद जी,
स्वागतम्। आपका सजाल-चिंतन बढ़िया लगा। संचायी शब्द के लिए धन्यवाद।
पंकज
अनुनाद जी,
हिन्दी ब्लाग जगत में आपका स्वागत है. आपकी हिन्दी एकदम शुद्ध है.
-रमन
चलिये एक और सत्संगी का बधाई स्वीकार हो, स्वागतम
अनुनाद जी.,
हिन्दी चिट्ठाकारी की सत्संग मन्डली मे आपका स्वागत है.
हमे आपकी वाणी/कलम के सत्संग का रोजाना इन्तजार रहेगा.
आलोक भाई , सेठ जी, रमन दादा और ठाकुर साहब,
इस विद्वत्सभा ने मुझे स्नेहपूर्वक प्रवेश दिय िसके लिये साधुवाद |
खुशी से अधिक अचररज हो रहा है कि मित्रगण कितने सक्रिय हैं| आज मै अपने चिट्ठे का परिचय कराने वाला था किन्तु मेरे पहुचने के पूर्व ही किसी प्रतिभावान दिव्यद्रष्ता ने इसे देख लिया और ..
आलोक भाई , मै real-time-programmer हूँ और Digital signal processors (DSP) प्रयोग करके power converters (power supplies)को कन्ट्रोल करता हूँ |
आलोक भई , गलती से आपकी टिप्पणी हट गयी | चाहता कुछ और था.. विश्वास है कि आप बुरा नही मान सकते |
जितेन्द्र भाई को भी साधुवाद | आप ही की उत्प्रेरणा ने मुझे चिट्ट्हाकार बनाया , वरना मै कुछ और था |
अगर अपच न हो तो एक स्वागत संदेश और ग्रहण करें बंधुवर.".....वरना मै कुछ और था"
कहकर यह तो नहीं कहना चाहते :-".....वर्ना आदमी हम भी काम के"
अनूप भैया ,
आप की भाषा-शैली अनुपम है और मुझे बहुत भाती है |
साफ-साफ बोले तो ...
पहले तो मै प्रोग्रामर था , चिट्ठाकार बनाया आप ने |
अनुनाद जी, विलंब से ही सही, हमारा भी हार्दिक स्वागत स्वीकारिए। "प्रतिभास" आपने नाम बहुत अच्छा चुना है। पर आप का अपना नाम भी इस अनुजगत के लिए कम अनुकूल नहीं। अनुगूँज के बाद अनुनाद भी बहुत ही अच्छा रहता।
इस टयूबलाईट (जो देर से जलती है) का भी नमस्कार है आपको
रमण भई और अतुल भाई
धन्यवाद | आप लोग हिन्दी चिट्ठा जगत की जो सेवा की है उसी के फलस्वरूप यह आज के स्थिति को प्राप्त हुआ है| आप लोगों के दसांश भी कर सका तो मेरे लिये गौरव की बात होगि|
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