कभी अपने कबीर साहब को ज्ञान की आँधी से साक्षात्कार हुआ था | अब तो सारा संसार ही इस आंधी की चपेट मे है |
पर यह आंधी अलग तरह की है | इस आंधी मे अपूर्व वेग और प्रचण्ड शक्ति है | सारा विश्व इसके साथ उडता चला जा रहा है | इन्टरनेट , डिजिटल लायब्रेरी , विकिपेडिया , चर्चा समूह , सर्च इंजन इत्यादि उसके अंग प्रत्यंग हैं |
साफ्ट्वेयर इतना सर्वब्यापी और सशक्त हो गया है कि कभी-कभी "अयमेव आत्मा" का भ्रम उत्पन्न कर देता है |
और कभी लगता है यह अलादीन का चिराग है , जो सोचो वह करके दिखाता है |
आप कुछ नया करना चाहते हैं , जरा खोज लीजिये | कोइ पहले ही कर चुका हो तो इसमे आश्चर्य की कोइ बात नही है | आपको कुछ करने मे कोइ समस्या आ रही है ? अपने आस-पास मत देखिये | लिख भेजिये किसी उपयुक्त चर्चा-समुह मे | कहीं सुदूर बैठा कोइ इसका समाधान कर देगा , वो भी घंटे-दो घंटे में |
यह आंधी सारे तौर तरीके बदल देगी| सब परिभाषायें बदल जायेंगी | शिक्षा और शिक्षण बदल जायेगा | शिक्षक और शिक्षर्थी बदल जायेंगे | ... इस सन्सार की काया ही पलट जायेगी , और सारा सन्सार यही जपेगा-
|| ज्ञानम ब्रम्ह ||
अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।
24 January, 2005
23 January, 2005
मेरे लिये जाल-जीवन का अर्थ
हमारे पूर्वज परमार्थ ( सबसे उत्तम उद्देश्य ) की बात करते थे | चर्चा करते रहते थे कि कौन सा काम सबसे अच्छा है | मेरा जाल-जीवन कुछ इस माडल पर आधारित होगा:
1. जाल-युग का सत्संग
जाल पर एक से बढकर एक गुणी जन विद्यमान हैं | उनसे विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा| इस अर्थ में चिट्ठाकारी सत्संग का काम करेगी|
2. चिट्ठाकारि के द्वारा हम अपने विचारों को तिनका-तिनका जोडकर मोटी रस्सी का रूप दे सकते हैं | इस अर्थ में चिट्ठा हमारे विचारों के सन्चायी (agregator) की तरह काम करेगा | इसके साथ ही यह हमारे विचारों का सुरक्षित भन्डारण कर उन्हे विलुप्त या नष्ट होने से बचायेगा|
3. नये विचार ध्यानपुर्वक चिन्तन के फलस्वरूप जन्म लेते हैं | इस क्रिया मे दूसरों के विचार ही प्रायः बीज का काम करते हैं | कुछ लिखने की कोशिश का अर्थ है अपनी चिन्तन-शक्ति को चुनौती देना |
4. और अंत में मिलकर काम करने का आनन्द लेना | सम्मिलित कार्य के गुण ( परिणाम ) अनेक गुणित हो जाते हैं |
1. जाल-युग का सत्संग
जाल पर एक से बढकर एक गुणी जन विद्यमान हैं | उनसे विचारों के आदान-प्रदान का अवसर मिलेगा| इस अर्थ में चिट्ठाकारी सत्संग का काम करेगी|
2. चिट्ठाकारि के द्वारा हम अपने विचारों को तिनका-तिनका जोडकर मोटी रस्सी का रूप दे सकते हैं | इस अर्थ में चिट्ठा हमारे विचारों के सन्चायी (agregator) की तरह काम करेगा | इसके साथ ही यह हमारे विचारों का सुरक्षित भन्डारण कर उन्हे विलुप्त या नष्ट होने से बचायेगा|
3. नये विचार ध्यानपुर्वक चिन्तन के फलस्वरूप जन्म लेते हैं | इस क्रिया मे दूसरों के विचार ही प्रायः बीज का काम करते हैं | कुछ लिखने की कोशिश का अर्थ है अपनी चिन्तन-शक्ति को चुनौती देना |
4. और अंत में मिलकर काम करने का आनन्द लेना | सम्मिलित कार्य के गुण ( परिणाम ) अनेक गुणित हो जाते हैं |
22 January, 2005
अथ प्रतिभास लेखनम
हिन्दि चिट्ठाकारों की लगन देखकर मै भी अपना चिट्ठा लिखने के लिये उत्साहित हुआ हुं.
तो आज से लिखना चालू...
तो आज से लिखना चालू...
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