14 May, 2008

विकिपिडिया को संवारो, हिन्दी का भविष्य संवरेगा


जरा सोचिये कि हिन्दी विकिपिडिया पर दस लाख लेख हो जांय तो क्या होगा? एक विद्यार्थी को आधुनिक से आधुनिक विषय पर जानकारी मिल जायेगी; कोई व्यक्ति किसी विषय पर पुस्तक रचना चाहेगा तो एक ही स्थान पर उसे सारी सामग्री हिन्दी में मिल जायेगी; किसी को कोई उपकरण स्वयं मरम्मत करना हो तो वह पढ़कर कर सकेगा; किसी रोग से पीड़ित व्यक्ति उस रोग से सम्बन्धित सारी जानकारी अपनी भाषा में पा जायेगा ....


कहते हैं कि दूसरे भी उसी की मदद करते हैं जो स्वयं अपनी मदद करता है। गूगल हिन्दी का अनुवादक नहीं ले आता यदि उसे हिन्दी में कोई क्रियाकलाप नहीं दिखता। इसी तरह आने वाले दिनों में (और आज भी) भाषा की शक्ति उसके विकिपीडिया पर स्थिति से नापी जायेगी।


हिन्दी विकिपीडिया पर इस समय उन्नीस हजार से अधिक लेख लिखे जा चुके हैं। यह काफी तेजी से बहुत से भाषाओं को पीछे छोड़ते हुए आगे निकल गयी है। किन्तु अभी भी यह लगभग पचास भाषाओं से पीछे है। हिन्दी के बोलने और समझने वालों की संख्या को देखते हुए इसका स्थान प्रथम दस भाषाओं में होना ही चाहिये।


इस देश में आई आई टी जे ई ई में ढ़ाई-तीन लाख लोग भाग्य आजमाते हैं; कैट (CAT) में भी इसी के करीब लोग भाग्य आजमाते है; इन्दौर जैसे शहर में बीस लाख लोग बसते हैं.. ऐसे में दस लाख लेखों का योगदान कितना सरल काम हो सकता है? किसी समाज की सम्पन्नता में इस बात से सीधा सम्बन्ध है कि उस समाज के लोग सार्वजनिक कार्यों के लिये कितना समय और धन देते हैं। हमारी अनेकानेक समस्याओं का कारण हमारा सार्वजनिक हित के कार्यों की अनदेखी करते हुए निजी हित को सर्वोपरि रखना ही है।


इसलिये सभी हिन्दी-प्रेमी इस बात को समझें कि केवल कविता और शेर से हिन्दी का विकास नहीं होगा; केवल ब्लाग पर किसी राजनैतिक विषय पर दस लाइन लिखने से देश का हित नहीं होगा; केवल आलोचनात्मक भाषण से कुछ नहीं होगा। हमे अपनी भाषा को सारे तरह के ज्ञान-विज्ञान से सुसज्जित करना होगा - तभी हिन्दी और हिन्दुस्तान दोनो का कल्याण सुनिश्चित होगा।


कोई सम्माजशास्त्र के उपविषयों (टापिक्स) पर लिखे, कोई मनोविज्ञान के उपविषयों पर, कोई राजनीति-शास्त्र पर, कोई अर्थशास्त्र पर, कोई वाणिजय पर, कोई कला पर, कोई इतिहास , कोई विज्ञान, कोई स्वास्थ्य, कोई प्रौद्योगिकी, कोई साहित्य आदि पर। विकिपिडिया का काम दो-चार लोगों के भरोसे नहीं हो पायेगा, इसमें लाखों नहीं तो हजारों लोगों को अवश्य जुड़ना पड़ेगा।


12 comments:

Anonymous said...

बिलकुल सही फरमाया ।

Anonymous said...

ठीक कहते हैं।

Udan Tashtari said...

बिल्कुल सही. उत्तम विचार. साधुवाद.

azdak said...

आप शुरू कीजिये, धीरे-धीरे और लोग जुड़ेंगे. मैं भी. जड़ूंगा. जुड़ा तो हूं ही.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

आपकी बात सच है। इसमें सभी हिन्दी प्रेमियों को आगे आना होगा।
और हाँ एक निवेदन- कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होती है।

अविनाश वाचस्पति said...

हम में से कितने जुड़ गए हैं अब तक.
हाथ उठाएं या मोहर लगाएं.

आलोक said...

खाता तो खोल लिया है, यह बताइए कि मौजूद अंग्रेज़ी लेख को अनूदित करने की क्या विधि है?

Anonymous said...

मैं आपसे सहमत हूँ। वीकिपीडिया ही क्यों बहुत से समाचार पत्र (bbc) भी आजकल इनटरनेट पे हिन्दी में समाचार छापते है।

Dr Prabhat Tandon said...

अगर मै होम्योपैथिक से संबधित जानकारी विकीपीडिया म हिन्दी मे डालना चाहूँ तो मुझे क्या और कैसे करना होगा ?

Abhishek Ojha said...

आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद.... जरुर लिखूंगा विकिपेडिया पर, समय की थोडी दिक्कत है पर कोशिश करता हूँ.

समयचक्र said...

सही फरमाया उत्तम विचार

gsbisht said...

केवल कविता और शेर से हिन्दी का विकास नहीं होगा; केवल ब्लाग पर किसी राजनैतिक विषय पर दस लाइन लिखने से देश का हित नहीं होगा; केवल आलोचनात्मक भाषण से कुछ नहीं होगा। हमे अपनी भाषा को सारे तरह के ज्ञान-विज्ञान से सुसज्जित करना होगा - तभी हिन्दी और हिन्दुस्तान दोनो का कल्याण सुनिश्चित होगा।

आपकी टिपण्णी के लिए धन्यवाद....