16 March, 2008

हिन्दी विकिपीडिया १७००० लेखों के पार

बहुत खुशी की बात है कि कुछ अत्यन्त समर्पित हिन्दी सेवियों के जबरजस्त योगदान के फलस्वरूप हिन्दी विकिपीडिया पर लेखों की संख्या १७००० को पार कर चुकी है। इसके साथ ही मौजूद लेखों में परिवर्तन एवं परिवर्धन भी किये गये। लेखों में पहले की अपेक्षा अधिक विविधता भी आयी है।

यदि हम सभी हिन्दी चिट्ठाकार अपने-अपने रुचि और विशेषज्ञता के विषयों पर पाँच-पाँच लेखों का भी योगदान करें तो हिन्दी में ज्ञान का यह मुक्त संग्रह और भी उपयोगी हो जायेगा। यदि हम गहन विचार करें तो पाएंगे कि अन्तत: हिन्दी विकिपीडिया पर संचित ज्ञान ही शाश्वत सिद्ध होगा और इसी लिये विकिपीडिया पर योगदान का महत्व सर्वाधिक है।

अन्त में यही आग्रह है कि आप भी हिन्दी विकिपीडिया पर योगदान करें ।


17 comments:

Pankaj Oudhia said...

क्यो नही हमारी सरकार भी ऐसा ही विकिपेडिया बनाये? क्या आपको मालूम है कि आप इतनी ऊर्जा किसके लिये लगा रहे है? कल को यदि यह किसी बहाने बन्द हो गया तो आपको पता है कि आपके योगदान का क्या होगा? आप इतना सहयोग दे रहे है तो क्यो नही हर लेख मे आपको बतौर लेखक फोटो सहित दर्शाया जाता? आखिर आप एक तरह से दानदाता है ज्ञान के। आपकी सामग्री पर आपका कितना हक है? आपने 17,000 से अधिक लेख लिखे है पर गूगल मे अनुनाद और विकिपेडिया खोजने पर केवल 96 परिणाम आ रहे है। आपको सदस्य बताया गया है। इतना योगदान आपके नाम से हो तो और लोग भी प्रेरित होंगे। यह भारतीय साइट नही है। हमारी सरकार को पहल करना चाहिये।

अनुनाद सिंह said...

पंकज अवधिया जी,

आपकी बात बहुत हद तक सही है। यह बहुत ही अच्छा होता यदि भारत-सरकार या भारत के किसी प्रदेश की सरकार अपना एक हिन्दी विश्वकोष आरम्भ करती और उसमे सबका योगदान होता। किन्तु दुर्भाग्य से ऐसा न हुआ है न भविष्य में कोई उम्मीद है।

ऐसे नें नहीं मामा से काना मामा ही भले। विकिपीडिया कम से कम ज्ञान का मुक्त स्रोत तो है। इसमें यदि कोई भी योगदान कर सकता है तो कोई भी इससे मुफ्त ज्ञान बटोर भी सकता है। इससे सबको फायदा होता है। इसने इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका आदि के बर्चस्व को तोड़ा है और सबके लिये मुफ्त में ज्ञान का दरवाजा खोला है। इसे कापी किया जा सकता है।

बाकी यदि भारत का अपना कोई विश्वकोष परियोजना शुरू होगी तो हम सब उसमें योगदान करेंगे ही।

हाँ, ये सत्रह हजार लेख मेरे नहीं हैं; सबके मिलाकर हैं!

उन्मुक्त said...

अनुनाद जी यह बहुत अच्छी खबर है। यह दिन प्रतिदिन बढ़ेगा, ऐसा विश्वास है। मुझे प्रसन्नता है कि कुछ योगदान इसमें मेरा भी है।
पंकज जी, विकिपीडीया मुक्त है। इस पर किसी प्रकार से किसी का अधिकार नहीं है या यों कहें कि हम सबका है। नाम और चित्र की क्या जरूरत।

Pankaj Oudhia said...

उन्मुक्त जी यह सबका नही है| इस वेबपेज के अनुसार यह विकीमीडीया फाउंडेशन की सम्पत्ति है।

http://en.wikipedia.org/wiki/Wikimedia_Foundation

यकीन मानिये कोटा खतम होते ही ये सभी जानकारियाँ वेब से हटा ली जायेंगी। फिर किताबो या सी.डी. के रुप मे बिकने लगेंगी। लेखक का तो इस पर अधिकार है नही। वह उस समय मन मसोसता रह जायेगा।

इस टिप्पणी को सुरक्षित रखे कुछ सालो तक। आपको हकीकत का अहसास होगा। इकोपोर्ट और डिस्कवरलाइफ जैसे डेटाबेस यह बताते है कि यदि इसे भविष्य मे बन्द किया जाये तो लेखक और उसके योगदान का क्या होगा। यह जानकारी अभी तक मुझे विकिपीडीया मे नही मिली।


आप लोग अपने फन मे पारंगत है फिर रवि जी जैसे टेक्नोक्रेट हमारे साथ है तो क्यो नही हम देशी विकी बनाये और लोगो को दान के लिये प्रेरित करे? सरकार भी मदद करेगी। आप अपील करे तो इस योजना के लिये सारे हिन्दी ब्लागर जुट जायेंगे।

Rajesh Roshan said...

पकज जी की बात अच्छी है लेकिन थोड़ा अतिविस्वासी सा है. मैं इससे सहमत हू की सरकार को ऐसा जरुर कुछ करना चाहिए लेकिन हिन्दी ब्लॉगर मिलकर यह काम करे, थोड़ा कठिन जान पड़ता है. भारत के अन्य भाषाओ में हिन्दी से जायदा कंटेंट हैं. हिन्दी के जायदा ब्लॉगर लड़ना जानते हैं विकीपेडिया जैसी चीजो पर अपना "समय बरबाद" करना उन्हें अच्छा नही लगेगा. थोड़ा बुरा लेकिन कटु सच

Rajesh Roshan

bhuvnesh sharma said...

पंकजजी की बात में दम है. अनुनादजी यदि हम ब्‍लागर लोग पहल करें तो एक देशी विश्‍वकोष बनाने की बात बन सकती है जिस पर हम हिन्‍दीभाषियों का अधिकार होगा.

उन्मुक्त said...

पंकज जी, मैं पुनः अपनी बात स्पष्ट रूप से रखना चाहूंगा।

मुक्त सॉफ्टवेयर १९८४ से शुरू हुआ। आप जो आपत्ति उठा रहे हैं वही बात उसके लिये कही गयी। न यह समाप्त हुआ है न ही हो सकता है। मैं और आप दोनो इंतजार करेंगे कि आगे क्या होता है।

यह सेवा जरूर विकिपीडिया फॉंडेशन चला रही है पर यह कहना गलत है कि वह इस पर प्रकाशित सूचना की मालिक है। विकीपीडिया में प्रकाशित सारी सूचना ग्नयू पब्लिक लाइसेंस के अन्दर है। इसका मोटा मोटा अर्थ मैंने अपनी पिछली टिप्पणी पर किया था। यह बात मैंने दूसरे संदर्भ में अपनी आप किसी और रूप में अपनी चिट्ठी ' विकिपीडिया की रिहाई?' पर विस्तार से लिखी है।

विकिपीडिया की किताब या सीडी के लिये बाद में क्यों। अभी क्यों नहीं। अंग्रेजी विकिपीडिया का सीडी तो अभी मिलती कुछ समय पहले अफ्रीका में बाटीं गयी थी। आप या कोई और चाहे तो वह भी बना कर बांट सकता है। आप विकिपीडिया की सारी सूचना अपने चिट्ठे में डाल सकते हैं इसमें कोई आपत्ति नहीं है। पर ध्यान रहे वह सब ग्नयू पब्लिक लाइसेंस के अन्दर ही रहे। इसीलिये मैं कहता हूं कि यह सब की है।

मेरे चिट्ठे से बहुत कुछ वहां पर डाला गया है। विश्वास कीजिये मैं उन्हें कई अलग अलग जगह देखता हूं। वे सब ग्नू पब्लिक लाइसेंस के अन्दर हैं और प्रसन्नता भी होती है कि विचार कहां से कहां पहुंच रहे हैं।

मैं बहुत सारे चित्र वहां से लेता हूं पर उन्हें ग्नू पब्लिक लाइसेंस के अन्दर प्रकाशित करता हूं। यह बहुत सुविधा जनक है।

यह एक बेहतरीन सेवा है। इसका सबसे महत्वपूर्ण पक्ष इसका लाइसेन्स है जिसके अन्दर यह प्रकाशित की गयी है। सरकार के साथ उस तरह के लाइसेन्स में कार्य करने की अपनी मुश्किल है। यदि विश्वास न हो तो सरकार के द्वारा जारी किये गये हिन्दी फॉन्ट का लाइसेन्स देखें।

सरकार के काम करने के तरीके का मुझको कुछ आइडिया है - रेड टेपिस्म, राजनीति, वोट बैंक, निर्णय न लेना, काम और निर्णय को टालना - इसके अतिरिक्त बहुत कुछ। मेरे विचार से यह काम कोई प्राईवेट संस्था करे तो वही ठीक प्रकार से कर सकती है न कि सरकार।

Pankaj Oudhia said...

उन्मुक्त जी आप की टिप्पणी के लिये आभार। शायद आपने यह आँखे खोलने वाला लेख नही पढा है

The Six Sins of the Wikipedia
http://www.thefreelibrary.com/The+Six+Sins+of+the+Wikipedia-a01073743002

मै इकोपोर्ट मे योगदान देता हूँ। यह कापीलेफ्ट पर आधारित है। चूँकि वीकी सामग्री के व्यव्सायिक उद्देश्य की बात करता है इसलिये इकोपोर्ट अपनी सामग्री वीकी को उपयोग नही करने देता है। इकोपोर्ट का लाइसेंस कहता है कि शैक्ष्णिक और निज उपयोग के लिये कोई भी सामग्री उपयोग कर सकता है पर उसे लेखक और इकोपोर्ट से साभार लिखना होगा पर इससे पैसे कमाना मना है। विकी भविष्य मे पैसा कमाने से इंकार नही करता है। यही दाल मे कुछ काला है।

आप देख रहे है हिन्दी ब्लाग जगत मे आर्थिक लाभ नही मिलने के कारण लोग तेजी से नही आ रहे है। विकी तो और टेढी राह है। यहाँ न पैसा मिलेगा और न ही नाम। इससे उन लोगो का ही भला होगा जिन्हे पर्दे के पीछे से कुछ दिया जा रहा है ताकि वे इसे अच्छा बताकर लोगो को योगदान के लिये प्रेरित कर सके। मुझे भी एडीटर बनने का वन टाइम आफर आया था। पर व्यस्तता के कारण मैने इंकार कर दिया।

मुझे लगता है भारतीय पहल की आवश्यकता है। योगदान भारतीय कानूनो के अन्दर हो न कि विदेशी कानून के अन्दर।


मुझे उस पेज का लिंक दे जिसमे यह लिखा है कि विकी सबका है और बन्द होने पर इसका क्या होगा?

Dr Parveen Chopra said...

बंधुओ, इस सारी डिस्कशन को ध्यान से पढ़ा है...शायद पहली बार किसी विषय पर इतनी लंबी चर्चा पर मेरी नज़र गई है। लेकिन अब हमें जल्दी से एक पोस्ट के रूप में निष्कर्ष बता डालिये कि आखिर हमें करना क्या है........अनुनाद जी , किसी दिन एक मास्टर की तरह हम सब को विकिपीडिया पर लिखने के बारे में बतलाइए. मैं आप को कईं बार यह वाला प्रश्न पूछ कर बोर कर चुका हूं.......लेकिन क्या करूं...जब हिंदी विकिपीडिया पर जाता हूं तो आगे क्या करना है कुछ ज़्यादा समझ में नहीं आता।

उन्मुक्त said...

पंकज जी, मैंने आपके लिंक के लेख पढ़ा।

विकिपीडिया में कई कमियां हैं। इसका कारण यह है कि इसमें हजारों लोग लिख रहे हैं। उन्हें एक सूत्र में बांधना, सबको साथ लेकर चलना मुश्किल कार्य है। यह कमियां उसके महत्व को कम नहीं करती। यह न केवल मुक्त है पर मुफ्त भी और काफी सही सामग्री लोगों को उपलब्ध कराती है।

विकिपीडिया के कारण बहुत सी एनसाइक्लोपीडिया भी बिकना बन्द हो गयी। इसलिये इसकी निन्दा को इस पहलू से भी देखिये।

ग्नू पब्लिक लाइसेन्स से जो मोटा मोटा निष्कर्ष निकलता है। मैंने वह बताया है। इसकी सामग्री से कोई पैसा नहीं कमा सकता। आप स्वयं इस लाइसेन्स की शर्तें पढ़ कर देखें।

ग्नू पब्लिक लाइसेन्स एक कठिन लाइसेन्स है। इसकी एक मुश्किल यह भी है कि यह सॉफ्टवेयर के लिये लिखा गया था। यह बात मैंने ऊपर बताये लेख में लिखी है और हो सकता है कि विकिपीडिया की सामग्री क्रीएटिव कॉमनस् के लाइसेन्स में मिले।

श्रीष जी ने मुझसे ग्नू पब्लिक लाइसेन्स के बारे में लिखने को कहा था पर मैं कुछ और लिख रहा था इसलिये नहीं लिख पाया। आपकी बात से लगा कि मुझे इसके बारे में विस्तार से लिखना चाहिये। इस समय मैं तीन श्रंखलायें लिख रहा हूं। इनके समाप्त होते मैं प्रयत्न करूंगा कि इस लाइसेन्स के बारे में लिखूं।

राज भाटिय़ा said...

अनुनाद सिंह जी आप का लेख ओर सभी भाईयो की टिपण्णी पढी, बात तो ठीक हे अगर सभी ना सही कुछ लोग मिल कर देशी विश्‍वकोष बनाने की कोशिश करे तो ( जेसा की पंकज जी ने कहा हे )यह हो सकता हे, सोचने मे थोडा कठिन हे जब जुटे गे तो हो भी जाये गा, मे आप सब के साथ हर सम्भब मदद करने को तेयार हू

राज भाटिय़ा said...

अनुनाद जी ,आप को ओर आप के परिवार को होली की बधाई

Anonymous said...

anunad ji:
mahisasur ki jai ho

sooprakash

Unknown said...

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valifahr said...

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