उच् हिन्दी चिट्ठाकार मेरे मात्रा-गणक प्रोग्राम के कलन-विधि ( अल्गोरिद्म) के बारे में जिज्ञासु हो सकते हैं। उनके लिए नीचे इस प्रोग्राम का फ्लो-चार्ट प्रस्तुत है:
अकस्मात , स्वछन्द एवम उन्मुक्त विचारों को मूर्त रूप देना तथा उन्हे सही दिशा व गति प्रदान करना - अपनी भाषा हिन्दी में ।
29 December, 2007
28 December, 2007
काव्यकारी में सहायक दो प्रोग्राम
कम्प्यूटर प्रोग्रामों के रूप में भाषा तकनीक सभी भाषाओं की तरह-तरह से सहायता कर रही है। इससे भाषाओं में नये आयाम जुड़ रहे हैं। कहा जा रहा है कि भाषा तकनीक के क्षेत्र में अपार संभावनायें हैं और इन सम्भावनाओं के फलीभूत होने पर भाषा-संसार में क्रान्तिकारी परिवर्तन होंगे और भाषा-संसार की कायापलट हो जायेगी।
इसी को ध्यान में रखते हुए मैने भी दो प्रोग्राम विकसित किये हैं। पहला प्रोग्राम देवनागरी के शब्दों को बायें से दायें या दाये से बायें क्रम में शाटन (सार्टिंग) करता है। इसमें दायें से बायें क्रम में शाटन कवियों के लिये बहुत उपयोगी और सहायक होगा। इसकी सहायता से तुकान्त शब्दों की सूची बनायी जा सकती है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि कविता में तुकान्त शब्दों का कितना महत्व है।
दूसरा प्रोग्राम किसी कविता की प्रत्येक पंक्ति में मात्राओं की संख्या की गणना करने का काम करता है। मात्राओं की संख्या के सही होने से ही कविता में गेयता आती है। दोहा, चौपाई, सोरठा, कुंडलिया आदि छन्दों के प्रत्येक चरण में मात्राओं की संख्या नियत होती है। जैसे ही मात्रा कम या अधिक होती है, कविता खटकने लगती है। इस प्रकार यह प्रोग्राम फटाफट मात्राओं की गणना करके अमूल्य समय की बचत कर सकती है और उन चरणों की ओर इशारा कर सकती है जिनमें संशोधन की आवश्यकता है।
निवेदन है कि हिन्दी-प्रेमी इन प्रोग्रामों को परखें और अपना सुझाव और प्रतिक्रिया दें।
देवनागरी क्रमक
मात्रा गणक
10 December, 2007
गाँवों के लिये डाक्टरों का 'निर्माण'
हाल में ही भारत के चिकित्सकों एवं चिकित्सा-छात्रों द्वारा गाँवों में काम करने का विरोध किया गया। यह अत्यन्त निन्दनीय है और इसका विरोध होना चाहिये। किन्तु इससे अधिक आवश्यकता भविष्य में चेतने और सम्यक योजना बनाने की है कि ऐसी स्थिति ही निर्मित न होने दी जाय।
इस सन्दर्भ में मेरे कुछ सुझाव हैं:
०) ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित विद्यालयों का बाकायदा 'ग्रामीण विद्यालय' के रूप में चिन्हित किया जाय।
१) इन विद्यालयों में पढ़े विद्यार्थियों को मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिये कम से कम ५०% का आरक्षण हो।
२) इस आरक्षण के विरुद्ध उनसे शपथ-पत्र भरवा लिया जाय कि उन्हे ग्रामीण क्षेत्रों में कम से कम १० वर्ष तक सेवा देनी होगी।
३) ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के बदले उन्हें 'असुविधा बोनस' दिया जाय।
४) इसी तरह की व्यवस्था ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाने के लिये अध्यापकों के लिये की जा सकती है।
मेरा मानना है कि भारत में सबसे पहले दो ही 'वर्ग' हैं: शहरी और ग्रामीण । अन्य वर्ग इसके बाद आते हैं।
07 December, 2007
हिन्दी विकिपीडिया ने १५००० का अंक पार किया
हिन्दी विकिपेडिया ने आज १५००० लेखों का आंकड़ा पार कर लिया। यह हिन्दी प्रेमियों के लिये खुशी की बात है। कुछ ही दिन हुए हम सभी हिन्दी विकिपेडिया को १०००० का अंक पार करते देखने की लालसा लिये हुए थे!
यूनिकोड ने विश्व की सभी भाषाओं की लिपियों को कम्प्यूटर पर समान धरातल प्रदान करके रोमन लिपि का कम्प्यूटर पर बर्चस्व तोड़ा। तदुपरान्त विकिपीडिया ने सभी भाषाओं में ज्ञान सामग्री सृजित करने का समान अवसर प्रदान करके भाषायी साम्राज्यवाद को समाप्त करने का धरातल तैयार किया है। हिन्दी विश्व के सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली तीन भाषाओं में एक है। समयदान देकर हिन्दी विकिपीडिया को समृद्ध बनाना हम सबका कर्तव्य है। हिन्दी विकिपीडिया एक महान अवसर लेकर प्रस्तुत हुआ है; हमे इसे व्यर्थ नहीं होने देना चाहिये।
आइये, अपनी रुचि के विषयों और उपविषयों पर लेख लिखकर हिन्दी और हिन्दुस्तान का मार्ग प्रसस्त करें!
यूनिकोड ने विश्व की सभी भाषाओं की लिपियों को कम्प्यूटर पर समान धरातल प्रदान करके रोमन लिपि का कम्प्यूटर पर बर्चस्व तोड़ा। तदुपरान्त विकिपीडिया ने सभी भाषाओं में ज्ञान सामग्री सृजित करने का समान अवसर प्रदान करके भाषायी साम्राज्यवाद को समाप्त करने का धरातल तैयार किया है। हिन्दी विश्व के सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली तीन भाषाओं में एक है। समयदान देकर हिन्दी विकिपीडिया को समृद्ध बनाना हम सबका कर्तव्य है। हिन्दी विकिपीडिया एक महान अवसर लेकर प्रस्तुत हुआ है; हमे इसे व्यर्थ नहीं होने देना चाहिये।
आइये, अपनी रुचि के विषयों और उपविषयों पर लेख लिखकर हिन्दी और हिन्दुस्तान का मार्ग प्रसस्त करें!
तुष्टीकरण : कैसे-कैसे रूप !
हज सबसिडी
समान नागरिक संहिता लागू करने में आनाकानी और इसका विरोध
उत्तरी राज्यों में उर्दू को द्वितीय राजभाषा बनाना
उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति
इफ़्तार पार्टियाँ
मुसलमान राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति/राज्यपाल
अल्पसंख्यक आयोग
अल्पसंख्यकों के लिये विशेष आरक्षण
अल्पसंख्यकों को विशेष ऋण सुविधा
मदरसों को विशेष सुविधायें
अल्पसंख्यकों के लिये विशेष छात्रवृत्ति
सच्चर कमीटी
अफजल की फांसी पर चुप्पी
काश्मीर में भारत-विरोधी तत्वों के साथ नरमी
तसलीमा का बंगाल से निषकासन
तस्लीमा की पुस्तकों पर प्रतिबन्ध
विदेश नीति में इरान का समर्थन
इजराइल के साथ अच्छे सम्बन्ध बनाने से संकोच
धारा ३७०
पोटा हटाना
अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों को विशेष सुविधा
उर्दू अखबारों को प्रोत्साहन
बंगलादेशियों को भारत में प्रश्रय
मुस्लिम लीग़ के साथ सत्ता-समझौता
---....---
... आदि, आदि
06 December, 2007
अपने लिये फाण्ट परिवर्तक प्रोग्राम स्वयं लिखें
यूनिकोड के फायदे अब सब स्वीकारते हैं, सब जानते हैं। ऐतिहासिक रूप से कम्प्यूटर पर हिन्दी (और अन्य गैर-रोमन लिपीय भाषायें) बड़े टेढ़े-मेढ़े रास्ते तय करते हुए आयी। इसमें 'लिगेसी' फाण्ट का प्रयोग भी एक मुकाम था। शुशा, कृतिदेव, संस्कृत९९ और न जाने कितने फाण्ट प्रयोग होते थे। जितने लोग, उतने फाण्ट।
अच्छी बात ये है कि इन फाण्टों में ही बहुत सारी हिन्दी की उपयोगी सामग्री (कन्टेन्ट) सम्हालकर रखा हुआ है। जिनको यूनिकोड में बदकर अमर किया जा सकता है।
किसी भी हिन्दी फाण्ट परिवर्तक के मुख्यत: तीन भाग होते हैं -
१) पुराने (लिगेसी) संकेतों को संगत हिन्दी यूनिकोड संकेतों से प्रतिस्थापित करना
२) छोटी इ की मात्रा का स्थान बदलना
३) आधा र (अक्षरों के उपर लगने वाला र) का स्थान बदलना
कहने की जरूरत नहीं कि जो भी प्रोग्राम लिखा जायेगा, उसे इन तीनों कार्य करने पड़ेंगे।
पुराने संकेतों को यूनिकोड संकेतों से बदलना:
हर लिगेसी फाण्ट में हिन्दी के स्वरों, मात्राओं एवं ब्यंजनों के लिये कुछ कोड प्रयोग किया जाता है, जो अन्तत: एक संकेत के रूप में दिखता है। विभिन्न लिगेसी फाण्टों में ये संकेत कुछ समान होते हैं और ज्यादातर भिन्न। उदाहरण के लिये संस्कृत९९ मे लिगेसी फाण्ट के कुछ संकेत और यूनिकोड के संगत संकेत नीचे दिये गये हैं:
"k", "K", "Š", "o", "O", "g", "G", "¸"
"क", "क्", "क्", "ख", "ख्", "ग", "ग्", "घ"
छोटी इ की मात्रा की समस्या :
लिगेसी फान्टों में अधिकतर छोटी इ की मात्रा को निम्नलिखित उदाहरण से समझा जा सकता है:
दिन के लिये संस्कृत९९ में idn लिखा गया होगा.
क्लिष्ट को ikl;q लिखा गया होगा।
ध्यान दें कि छोटी इ की मात्रा के लिये i का प्रयोग किया जा रहा है और यह जिस वर्ण पर लगनी है उसके ठीक पहले या उसके एक स्थान और पहले (दूसरे उदाहरण में) हो सकती है। जबकि यूनिकोड में छोटी इ की मात्रा के लिये आने वाला कोड , उस व्यंजन के कोड के बाद आता है।
दिन = द का कोड + छोटी इ की मात्रा का कोड + न का कोड
स्थिति = स का कोड + हलन्त का कोड (स को आधा करने के लिये) + थ का कोड + छोटी इ की मात्रा का कोड + त का कोड + छोटी इ की मात्रा का कोड
आधे र की समस्या :
आधे र की समस्या, छोटी इ की समस्या के तरह ही, किन्तु इसके ठीक उल्टा है।
उदाहरण :
तर्क का संस्कृत ९९ मे कोड tkR है;
कर्ता का संकेत ktaR है।
स्पष्ट है कि लिखने में जिस ब्यंजन के उपर आधा र लगाया जाता है, उसके बाद, या उस पर लगी मात्राओं के बाद आधे र का संकेत आता है।
किन्तु यूनिकोड में आधे र की स्थिति अलग है। उच्चारण की दृष्टि से आधा र, उस ब्यंजन के पहले आता है, जिसके उपर इसे लगाया जाता है। इसी लिये यूनिकोड में आधे र का कोड भी उस ब्यंजन के पहले आता है।
उदाहरण :
तर्क = त का यूनिकोड + आधे र का यूनिकोड + क का यूनिकोड
कर्ता = क का यूनिकोड + आधे र का यूनिकोड + त का यूनिकोड + आ की मात्रा का यूनिकोड
संस्कृत९९ को यूनिकोड में बदलने का प्रोग्राम का सोर्स कोड इस फाइल को वर्डपैड में खोलकर या किसी अन्य तरीके से देखा जा सकता है।
और भी कई मुद्दे हैं जैसे - लिगेसी में किस अक्षर के लिये कौन सा संकेत प्रयुक्त हुआ है, कैसे जानें ; एच टी एम एल और जावास्क्रिप्ट के किन कमाण्डों का प्रयोग किस काम के लिये करें; प्रोग्राम का फ्लोचार्ट कैसा होगा .. आदि मुद्दे अगली पोस्टों में विचारे जायेंगे।
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