विद्या / बुद्धि / ज्ञान / शिक्षा /
जिसके पास बुद्धि है, बल उसी के पास है ।
(बुद्धिः यस्य बलं तस्य )
-- पंचतंत्र
ज्ञान प्राप्ति से अधिक महत्वपूर्ण है अलग तरह से बूझना या सोचना ।
--डेविड बोम (१९१७-१९९२)
सत्य की सारी समझ एक उपमा की खोज मे निहित है ।
-- थोरो
प्रत्येक व्यक्ति के लिये उसके विचार ही सारे तालो की चाबी हैं ।
-- इमर्सन
वही विद्या है जो विमुक्त करे । (सा विद्या या विमुक्तये )
विद्या के समान कोई आँख नही है । ( नास्ति विद्या समं चक्षुः )
खाली दिमाग को खुला दिमाग बना देना ही शिक्षा का उद्देश्य है ।
- - फ़ोर्ब्स
अट्ठारह वर्ष की उम्र तक इकट्ठा किये गये पूर्वाग्रहों का नाम ही सामान्य बुद्धि है ।
-- आइन्स्टीन
कोई भी चीज जो सोचने की शक्ति को बढाती है , शिक्षा है ।
संसार जितना ही तेजी से बदलता है , अनुभव उतना ही कम प्रासंगिक होता जाता है । वो जमाना गया जब आप अनुभव से सीखते थे , अब आपको भविष्य से सीखना पडेगा ।
गिने-चुने लोग ही वर्ष मे दो या तीन से अधिक बार सोचते हैं ; मैने हप्ते में एक या दो बार सोचकर अन्तर्राष्ट्रीय छवि बना ली है ।
-- जार्ज बर्नार्ड शा
दिमाग जब बडे-बडे विचार सोचने के अनुरूप बडा हो जाता है, तो पुनः अपने मूल आकार में नही लौटता । --
जब सब लोग एक समान सोच रहे हों तो समझो कि कोई भी नही सोच रहा । -- जान वुडेन
पठन तो मस्तिष्क को केवल ज्ञान की सामग्री उपलब्ध कराता है ; ये तो चिन्तन है जो पठित चीज को अपना बना देती है ।
-- जान लाक
एकाग्र-चिन्तन वांछित फल देता है ।
- जिग जिग्लर
शब्द विचारों के वाहक हैं ।
शब्द पाकर दिमाग उडने लगता है ।
दिमाग पैराशूट के समान है , वह तभी कार्य करता है जब खुला हो ।
-- जेम्स देवर
अगर हमारी सभ्यता को जीवित रखना है तो हमे महान लोगों के विचारों के आगे झुकने की आदत छोडनी पडेगी । बडे लोग बडी गलतियाँ करते हैं ।
-- कार्ल पापर
सारी चीजों के बारे मे कुछ-कुछ और कुछेक के बारे मे सब कुछ सीखने की
कोशिश करनी चाहिये ।
-- थामस ह. हक्सले
कार्य-आरम्भ / क्रिया / कर्म /
जो क्रियावान है वही पण्डित है । ( यः क्रियावान् स पण्डितः )
जीवन की सबसे बडी क्षति मृत्यु नही है । सबसे बडी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है ।
-- नार्मन कजिन
आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है ।
- सैली बर्जर
जो कुछ आप कर सकते हैं या कर पाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये । निर्भीकता के अन्दर बुद्धि, शक्ति और जादू होते हैं ।
-- गोथे
छोटा आरम्भ करो , शीघ्र आरम्भ करो ।
प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः )
-- रघुवंश महाकाव्यम्
पराक्रम दिखाने का समय आने पर जो पीछे हट जाता है , उस तेजहीन का पुरुषार्थ सिद्ध नही होता ।
यो विषादं प्रसहते विक्रमे समुपस्थिते ।
तेजसा तस्य हीनस्य पुरुषार्थो न सिद्धयति ॥
- - वाल्मीकि रामायण
शुभारम्भ, आधा खतम ।
हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है ।
-- चीनी कहावत
सम्पूर्ण जीवन ही एक प्रयोग है । जितने प्रयोग करोगे उतना ही अच्छा है ।
-- इमर्सन
सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप चौबीस घण्टे मे कितने प्रयोग कर पाते है ।
-- एडिशन
यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता ।
एक समय मे केवल एक काम करना बहुत सारे काम करने का सबसे सरल तरीका है ।
-- सैमुएल स्माइल
1 comment:
anunad ji,
achchhaa sankalan hai subhaashito.N kaa. mere blog par comment daalane ka liye aur usake bhii puurva blog shuruu karane kaa vichaar dene ke liye bahut dhanyawaad.
laxminarayan
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