12 July, 2006

कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला..

दो-तीन दिन पहले एक सर्वे आया है जिसके निष्कर्ष हिन्दी, देवनागरी और अन्य भारतीय भाषाओं के लिये बहुत उत्साहजनक है।

"इन्डिया आनलाइन २००६" नामक यह सर्वे इकनामिक टाइम्स द्वारा कोई बीस हजार अन्तर्जाल प्रयोक्ताओं पर किया गया। इसके बारे मे अंगरेजी में समाचार यहाँ देख सकते हैं :

India's heartland gets caught up in the Net
http://infotech.indiatimes.com/articleshow/1719746.cms

Net's cast wider than you thought
http://infotech.indiatimes.com/articleshow/1708175.cms

जी हाँ, १९% अन्तरजाल प्रयोक्ता हिन्दी के चिट्ठे(ब्लाग) पढ रहे हैं। यह बहुत बडी राशि है।

इस सर्वे के नतीजे अन्तरजाल पर हिन्दी के स्वर्णिम भविष्य के आने का संकेत दे रहे हैं इस सर्वे के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि जिस प्रकार हाल में अन्य संचार माध्यमों में हिन्दी का दबदबा उभर कर सामने आया है, वही गाथा अन्तरजाल पर भी दुहरायी जायेगी। मुझे तो ऐसा लग रहा है कि यदि कम्प्यूटर पर देवनागरी के प्रयोग में आने वाली बची-खुची छोटी-मोटी समस्याओं को हल कर लिया गया(जिसके बारे में मुझे कोई शंका नहीं है) तो बहुत जल्द ही १९% का यह आंकडा ५०% पर पहुँच जायेगा। सोचिये कि ये हालत तब है जब अब भी अच्छे-खासे पढे-लिखे लोग कम्प्यूटर पर हिन्दी देखकर चौंक जाते हैं।

इससे हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के शुभचिन्तको की जिम्मेदारी और बढ गयी है। अन्तरजाल पर हिन्दी में अधिक से अधिक लोकोपयोगी सामग्री रखे जाने की जरूरत है। आइए हम सभी हिन्दी के मार्ग को प्रशस्त करें, निष्कंटक बनायें!

2 comments:

संजय बेंगाणी said...

साथी हाथ बढाना...

उन्मुक्त said...

सही फरमाया