13 November, 2020

प्राचीन भारतीय तकनीकी शब्दावली

अंशुबोधिनी नामक  के बारे में पढ़ रहा था।  उसके अध्यायों के नाम पढ़कर सहसा लगा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों से वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली छांटकर  संकलित करना बहुत उपयोगी रहेगा।  जब भी किसी ज्ञान विज्ञान का विकास  होता है तब शब्दावली  साथ  जाती है  या यों  कहें कि शब्दावली और ज्ञान -विज्ञान एक साथ विक्सित होते हैं आगे-पीछे  नहीं।

प्राचीन भारतीय तकनीकी शब्दावली को संकलित  लाभ होंगे. इससे भारत    के प्राचीन तकनीकी और  प्रौद्योगिकीय विकास  वास्तविक चित्र  सामने आएगा, हमें किस प्रकार से तकनीकी शब्दों का निर्माण करना चाहिए-  इसका दिशाबोध मिलेगा. प्राचीन भारतीय किस प्रकार से  विषयों पर लिखते थे,   यह पता चलेगा। उनकी अध्याय-योजना कैसी होती थी- यह पता   चलेगा।

सबसे पहले तो अंशुबोधिनी के आठ प्रकार  नाम देखिए-

      शक्त्युद्गमो भूतवाहो धूमयानश्शिखोद्गमः। अंशुवाहस्तारामुखो मणिवाहो मरुत्सखः॥
 
अर्थात,   शक्त्युद्गमः  भूतवाहः धूमयानः शिखोद्गमः अंशुवाहः तारामुखः मणिवाहः  और मरुत्सखः नामक ८ प्रकार के विमान  होते हैं। 

विमान के ३२ रहस्य

वैमानिक शास्त्र नामक ग्रन्थ में विमानचालक (पाइलॉट) के लिये ३२ रहस्यों (systems) की जानकारी आवश्यक बतायी गयी है। इन रहस्यों को जान लेने के बाद ही पाइलॉट विमान चलाने का अधिकारी हो सकता है। ये रहस्य निम्नलिखित हैं-

मांत्रिक, तान्त्रिक, कृतक, अन्तराल, गूढ, दृश्य, अदृश्य, परोक्ष, संकोच, विस्तृति, विरूप परण, रूपान्तर, सुरूप, ज्योतिर्भाव, तमोनय, प्रलय, विमुख, तारा, महाशब्द विमोहन, लांघन, सर्पगमन, चपल, सर्वतोमुख, परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियाग्रहण, दिक्प्रदर्शन, आकाशाकार, जलद रूप, स्तब्धक, कर्षण। 
 
बाद में इंटरनेट पर देखा तो एक अच्छी  संस्कृत तकनीकी शब्दावली भी मिली-
http://www.hamsi.org.nz/p/blog-page_19.html

26 March, 2020

हिन्दी हितार्थ उपयोगी लेख


* दुनिया मेरे आगे (निशा शर्मा ; १५ सितम्बर २०२०) 
 
 
* क्या हमारे बच्चे नहीं पढ़ पाएँगे हिंदी के अंक ?

  • तकनीकी विकास से समृद्ध होगी हिन्दी (बालेन्दु शर्मा दाधीच ; 28-अगस्त-2018)
  • जनता को जनता की भाषा में न्याय (अप्रैल 2018)
  • भारतीय विदेश नीति में हिन्दी भाषा का महत्व
  • भारतीय भाषा मंच के उद्देश्‍य व कार्य
  • जनता को जनता की भाषा में न्याय (April 2018)
  • शिक्षा के माध्यम की भाषा - मातृभाषा ( प्रो. कृष्ण कुमार गोस्वामी ; अप्रैल 2018)
  • भारतीय भाषाओं के संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा का प्रस्ताव ; मार्च २०१८)
  • क्या भारत अपनी भाषा के बिना दुनिया का महाशक्तिशाली देश बन पाएगा? (फरवरी २०१८ ; दैनिक नवज्योति)
  • मातृभाषा के बिना मौलिक विचारों की सृजना सम्भव नहीं (देश राज शर्मा ; फरवरी २०१८)
  • कब आयेगा वह दिन जब अपनी भाषा में मिलने लगेगा न्याय? (प्रभासाक्षी ; दिसम्बर २०१७)
  • सोशल मीडिया पर हिंदी का बोलबाला, गर्व के साथ प्रयोग करने लगे हैं लोग (सितम्बर २०१७, दैनिक भास्कर)
  • हिंदी में राजनीति, राजनीति में हिंदी ( अगस्त २०१७ ; मृणाल पांडे )
  • हिंदी का एक उपेक्षित क्षेत्र (डॉ. कुलदीप चन्‍द अग्निहोत्री ; अगस्त २०१७ )
  • हिंदी के टूटने से देश की भाषिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी (करुणाशंकर उपाध्याय ; 27/07/2017)
  • हिंदी ही रोक सकती है अंग्रेजीवाद को (-डॉक्टर अशोक कुमार, पूर्व सदस्य, बिहार लोक सेवा आयोग, पटना ; जुलाई २०१७)
  • हिंदी लाओ बनाम अंग्रेजी हटाओ ( डॉ. वेदप्रताप वैदिक ; जुलाई २०१७)
  • बेबाक बोल- हिंदी, हिंदु और हिंदुस्तान : हिंदी है तो हिंदु (मुकेश भारद्वाज, July 8, 2017)
  • सभी राज्यों में अपनाई जानी चाहिए हिन्दी सहित तीन भाषाओं की नीति, संस्कृत का विकल्प भी दिया जाए (जुलाई २०१७ ; माधवन नायर)
  • भाषा : बोलने लगा भारत (जून २०१७, पाञ्चजन्य)
  • उर्दू को देवनागरी में लिखकर हिंदी के पास लाएं (डॉ एस बी मिश्र ; मई २०१७)
  • "रोमन" बनाम "देवनागरी" का सवाल (सुशोभित सक्तावत ; अप्रैल 2017 )
  • शिखर से हिंदी (अप्रैल २०१७, लाइव हिन्दुस्तान)
  • राष्ट्रपति ने स्‍वीकार की संसदीय समिति की सिफारिशें, हिंदी के आएंगे अच्छे दिन? (Apr 18 2017)
  • कोलोंग के किनारे साहित्य चर्चा (मार्च २०१७ ; राघवेन्द्र दीक्षित)
  • मातृभाषा (अतुल कोठारी)
  • सोशल मीडिया में अंग्रेजी पर भारी हिंदी (नईदुनिया)
  • हिंदी लाओ नहीं, अंग्रेजी हटाओ (जनवरी २०१७) वेद प्रताप वैदिक)
  • विश्व भाषा बन चुकी है हिंदी, मगर … (जनवरी २०१७ ; मिथिलेश कुमार सिंह)
  • हिंदी के नए अंदाज (सुधीर पचौरी ; दिसम्बर २०१६)
  • साल 2050 तक दुनिया की सबसे शक्तिशाली भाषा होगी हिन्दी (Zee जानकारी ; दिसम्बर २०१६)
  • हिन्दी का स्वाभिमान बचाने समाचार-पत्रों का शुभ संकल्प (नवम्बर २०१६)
  • हिन्दी का सरलीकरण (राममनोहर लोहिया के हिन्दी सम्बन्धी विचार)
  • पंजाब के लोग हिन्दी भाषा के साथ ही सोते और जागते हैं ( प्रो. बेदी ; सितम्बर २०१६)
  • मप्र: शिक्षा में क्रांति (डॉ. वेदप्रताप वैदिक ; सितम्बर २०१६)
  • हिन्दी नहीं रहेगी तो देश टूट जायेगा (प्रा. अनूप सिंह ; सितम्बर २०१६)
  • न्याय व्यवस्था या अन्यायकारी व्यवस्था? (ब्रजकिशोर शर्मा ; सितम्बर २०१६)
  • देश की एकता का मूल: हमारी राष्ट्रभाषा ( क्षेमचंद ‘सुमन’ )
  • राष्ट्र भाषा की अंतर्वेदना (डॉ. प्रणव पण्ड्या)
  • हिंदी को बढ़ावा देने के लिए होगा निदेशालय का गठन (मार्च २०१६ ; मुजफ्फरपुर)
  • भाषा-नियोजन और राजभाषा हिन्दी (डॉ जे आत्माराम ; फरवरी २०१६)
  • हिंदी की बढ़ती पहुंच से परेशानी क्यों (अनन्त विजय ; फरवरी २०१६)
  • मध्य प्रदेश का हिन्दी सम्बन्धी आदेश : हिंदी के प्रयोग से सुगम बनेगा सरकारी कामकाज (फरवरी २०१६ ; डॉ. जयकुमार जलज)
  • बस हिंदी ही हो पत्रकारिता की पढ़ाई का माध्यम (डॉ. वेद प्रताप वैदिक ; नवम्बर २०१५)
  • हिंदी में विज्ञान संचार और रक्षा विज्ञान (डॉ. सुभाषचंद्र लखेड़ा ; नवम्बर २०१५)
  • शिक्षा-माध्यम के बदलाव का प्रबंधन (डॉ मधुसूदन झावेरी ; अक्टूबर २०१५)
  • अपने पारिभाषिक शब्दों से ही शीघ्र उन्नति (डॉ मधुसूदन झावेरी ; अक्टूबर २०१५)
  • तमिल छात्र, आज, हिन्दी चाहता है। (डॉ मधुसूदन झावेरी ; अक्टूबर २०१५)
  • भारतीय भाषाओं की साझी रणनीति का समय आया (डॉ. अनिल सद्गोपाल ; 14 अक्तूबर 2015)
  • हिंदी दिवस पर खास: इंटरनेट चला हिंदी की राह (सितम्बर २०१५ ; लाइव हिन्दुस्तान)
  • पत्रकारिता की भाषा (सितम्बर २०१५ ; श्री राहुल देव)
  • हिंदी को राष्ट्रभाषा का गौरव गांधीजी ने दिलाया (जुलाई 2015 ; श्री भगवान सिंह)
  • शिक्षा से ही नहीं, नौकरी से भी जाए अंग्रेजी ( जून २०१५ ; वेद प्रताप वैदिक)
  • गांधीजी कहते थे- राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्रसेवा संभव नहीं (जून २०१५ ; श्री भगवान सिंह)
  • पढ़ाई से लड़ाई बंद! (पाञ्चजन्य में प्रशांत वाजपेई / अरुण कुमार सिंह)
  • देश की समृद्धि के लिए जनभाषा में शिक्षा (संक्रान्त सानु)
  • नागरी विवादः चेतन भगत को बालेन्दु का बिंदुवार जवाब नागरी विवादः चेतन भगत को बालेन्दु का बिंदुवार जवाब (प्रभासाक्षी , फरवरी २०१५)
  • भारत में देवनागरी का कोई विकल्प नहीं हो सकता (फरवरी २०१५ ; विविध व्यक्तियों के विचार)
  • योजनाबद्ध झूठ का विस्तार (फरवरी २०१५ ; रघु ठाकुर)
  • आलेख : देवनागरी के बजाय रोमन लिपि क्यों? (जनवरी २०१५ , प्रो. गिरीश्‍वर मिश्र)
  • यूरोपीय विद्वानों ने तो खुद रोमन को कोसा है। (डॉ. परमानन्द पांचाल ; जनवरी २०१५)
  • आईटी में राजभाषा हिंदी की सरपटिया प्रगति (जितेंद्र जायसवाल, वेबदुनिया ; जनवरी २०१५)
  • चेतन भगत के ख्याल पर हिन्दी प्रेमियों के विचार (वेबदुनिया ; जनवरी २०१५)
  • मातृभाषा और शिक्षा (डॉ देवेन्द्र दीपक)
  • भर्ती परीक्षाओं में बढ़ा हिन्दी, संस्कृत का क्रेज (जनोक्ति ; नवम्बर २०१४)
  • जर्मन क्यों? (नवम्बर २०१४ , डॉ अमृत मेहता)
  • संसद भवन में भी हिन्दी की गूंज (25 नवंबर 2014 ; वेबदुनिया)
  • जर्मन के प्रति यह अनुराग क्यों (नवम्बर २०१४ ; सुधीश पचौरी)
  • “अंगरेजी तो पूरे विश्व में प्रयुक्त होती है” – भ्रम जिससे भारतीय मुक्त नहीं हो सकते (योगेन्द्र जोशी ; अक्टूबर २०१४)
  • हिंदी के भविष्य में आस्था जगाता सम्मेलन (प्रभासाक्षी ; सितम्बर २०१४)
  • टेक्नोलॉजी के आंगन में हिंदी के ठाठ (सितम्बर २०१४ ; दैनिक ट्रिब्यून)
  • 80 करोड़ लोगों के बीच सुरक्षित है हिंदी (सितम्बर २०१४ ; बालेन्दुशर्मा 'दाधीच')
  • रोमन लिपि से हिन्दी की हत्या की साजिश (8 सितम्बर 2014 ; प्रिय दर्शन)
  • का शिकार है हिंदी (सितम्बर २०१४ ; हिमकर श्याम)
  • रजिस्‍ट्रेशन नम्‍बर प्‍लेट का देवनागरीकरण (शोध लेख)
  • हिंदी से इतना बैर क्यों? (अगस्त २०१४ ; स्वाति पराशर, मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया)
  • अदालती कार्यवाही हिन्दी में करने की मांग पर नोटिस (अगस्त २०१४ ;वेबदुनिया)
  • सी.सैट हिन्दी भाषियों के खिलाफ ( जुलाई २०१४ ; अरुण निगवेकर रिपोर्ट)
  • संसद में भारतीय भाषाओं की एकता (जुलाई २०१४ ; गोविन्द सिंह)
  • नीति हिन्दी के लिये नहीं, अंग्रेज़ी के लिए चाहिए (जुलाई २०१४ ; प्रभु जोशी)
  • हिंदी आंदोलन - अपने उद्देश्यों के लिए जनमत का दुरुपयोग (जुलाई २०१४ ; डॉ. दलसिंगार यादव, राजभाषा विकास परिषद)
  • हिन्दी रोजगार की संभावनाओं से भरपूर (जुलाई २०१४ ; लाइव हिन्दुस्तान)
  • भारत की विविधता (जुलाई २०१४ ; आर.एस.एन. सिंह)
  • संघ लोक सेवा आयोग क्यों चाहता है अंग्रेजी का आतंक? (जुलाई २०१४ ; भारतीय भाषा अभियान)
  • हिंदी के ये इलीट राइटर (जुलाई २०१४ ; नवभारत टाइम्स)
  • हिंदी में पांच गुना बढ़ जाती है काबिलियत (जुलाई २०१४ ; अनुसंधान)
  • भारतीय भाषाओं को कितना खतरा (जुलाई २०१४ ; डॉ जोगा सिंह विर्क)
  • नेपाल में हिन्दी और हिन्दी साहित्य (सूर्यनाथ गोप)
  • सिविल सेवा परीक्षा में बदलाव कर सकता है यूपीएससी (जून २०१४)
  • सिविल सेवा परीक्षाओं में हिन्दी और ग्रामीण छात्रों ने लगाया उपेक्षा का आरोप, दिल्ली में किया विरोध प्रदर्शन (जून २०१४ ; प्रभात खबर)
  • हिंदी को उसकी जगह देना नाइंसाफी कैसे? (जून २०१४ ; बालेन्दु शर्मा दाधीच)
  • मोदी: चुनावी सफलता और हिन्दी (जून २०१४ ; मधुसूदन झावेरी)
  • मां, मातृभूमि, मातृभाषा का विकल्प नहीं (मई २०१४ ; अतुल कोठारी)
  • मोदी की जीत में हिन्दी की भूमिका (मई २०१४ ; सुधीश पचौरी)
  • विकास के मॉडल में कहां है भाषा...? (प्रभु जोशी; अप्रैल २०१४)
  • कश्मीर में हिन्दी : स्थिति और संभावनाएँ (प्रो. चमनलाल सप्रू)
  • लगातार बढ़ रहे हैं हिंदी बोलने और समझने वाले (प्रभासाक्षी ; अप्रैल २०१४)
  • अमेरिका में बढ़ रहे हैं हिंदी बोलने वाले (प्रभासाक्षी ; अप्रैल २०१४)
  • भारत से रिश्ते सुधारने को हिंदी की मिठास : अमेरिका ने भारत में अपने दूतावास की वेबसाइट को हिंदी में भी आरम्भ किया (अप्रैल २०१४)
  • हिन्दी में साहित्येतर लेखन और प्रकाशन (प्रेमपाल शर्मा ; अप्रैल २०१४)
  • प्रोफेशनल कोर्स में भी अंग्रेजी की बाध्यता खत्म] (दैनिक जागरण ; मार्च २०१४)
  • हिंदी से एमबीए करने वाले भी नौकरी पा रहे हैं (प्रभासाक्षी ; मार्च २०१४)
  • अपने दस्तखत अपनी भाषा में ही करें (वेदप्रताप वैदिक ; मार्च २०१४)
  • वर्धा के समावेशी (मार्च २०१४ ; ओम थानवी)
  • आस्ट्रेलियाई पढ़ेंगे हिंदी ! (जिन्दगी नेक्स्ट ; फरवरी २०१४)
  • नवभाषिक लोक-व्यवस्था और हिंदी : तीसरी परम्परा के इहलोक में (शैलेन्‍द्र कुमार सिंह)
  • मातृभाषा के नए प्रश्न (परिचय दास ; फरवरी २०१४)
  • नाकेबंदी के बावजूद सरहद पार हिंदी (प्रभासाक्षी ; फरवरी, २०१४)
  • अंतरजाल पर बढाऐँ, आर्य भाषा का मान (जनवरी २०१४)
  • स्वामी दयानंद और आर्यसमाज की हिंदी भाषा को देन (नवम्बर २०१३ ; आर्यसमाज पुणे)
  • अंग्रेज , अंग्रेजी और अंग्रेजीयत के गुलाम (गौरवमय भारत ; अक्तूबर २०१३)
  • दुनियाभर में खूब धूम मचा रही है हमारी हिंदी (अरविन्द राजतिलक ; सितम्बर २०१३)
  • विधि शिक्षा और न्याय क्षेत्र में भारतीय भाषाओं की उपयोगिता पर राष्ट्रीय सम्मेलन (सितम्बर २०१३)
  • वैश्विक गगन में तेजी से उड़ रही है हिन्दी (पाञ्चजन्य ; सितम्बर २०१३)
  • हिन्दी के अंतराय (ओम विकास ; सितम्बर २०१३)
  • आर्य भाषा के उन्नायक महर्षि दयानंद (डॉ. मधु संधु ; सितम्बर २०१३)
  • राजभाषा हिन्दी की मनोवैज्ञानिक भूमि (सृजनगाथा ; अप्रैल २०१२)
  • मातृभाषा का महत्व (मधूलिका ; अगस्त २०१२)
  • हिंदी का महत्व और विडंबनाएं (चौथी दुनिया ; अक्टूबर २०१०)
  • हिंदी का ज्ञान बन गया है बाजार की शान (प्रभासाक्षी ; दिसम्बर २०११)
  • विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी में हिन्दी का महत्त्व (विश्वमोहन तिवारी ; दिसम्बर २०१०)
  • ऐप्लिकेशन्स में भी करें हिंदी में काम (बालेन्दु शर्मा 'दाधीच' ; सितम्बर, 2013)
  • हिंदीतर प्रांतों के हिंदी-समर्थक प्रकाशन ( डॉ. मनोज श्रीवास्तव ; अप्रैल 2012 )
  • स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएँ : प्रासंगिकता, उपादेयता एवं सीमाएँ (प्रो दिलीप सिंह ; सितम्बर २०११)
  • हिन्दी का समाजशास्त्र (प्रो. अरुण दिवाकरनाथ वाजपेयी)
  • पूर्वोत्तर की भाषाएँ और हिंदी (गोपाल प्रधान)
  • भाषा नीति के बारे में अंतर्राष्ट्रीय खोज (जोगा सिंह ; ३० जून १३)
  • जापान में अंग्रेजी- नहीं चलेगी, नहीं चलेगी (बीबीसी, जून २०१३)
  • ‘अंग्रेजी न आने से हमारे बैंक 2008 के संकट से बच गए’ : जापानी वित्तमंत्री (जून २०१३)
  • अब भी नहीं मिला अपनी भाषा में न्याय पाने का हक (श्यामसुन्दर पाठक, मई २०१३)
  • सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालयों में भारतीय भाषा में न्याय पाने का हक (प्रवक्ता ब्यूरो, मई २०१३)
  • सामाजिक न्याय में रोड़ा बनती अँग्रेजी (प्रमोद भार्गव, मार्च २०१३)
  • भाषाओं के लोकतंत्र के पक्ष में (योगेन्द्र यादव, मार्च २०१३))
  • संयुक्तराष्ट्र में हिंदी को मिले हक (वेदप्रताप वैदिक ; २०११)
  • हमारे देश की सारी समस्या का हल हिन्दी है (सतीश कुमार रावत)
  • भाषा का दमन: विदेशियों की एक सोची समझी चाल ! (डॉ सुधीर कुमार शुक्ल 'तेजस्वी' ; नवम्बर २०१२)
  • हिंदी माध्यम से उच्च शिक्षा दलितों के हित में (गंगा सहाय मीणा)
  • हिंदी की अन्तर-क्षेत्रीय, सार्वदेशीय एवं अंतरराष्ट्रीय भूमिका (प्रोफेसर महावीर सरन जैन)
  • हिन्दी का लैमार्कवादी विकास: राष्ट्रीय आत्मघात का एक अध्याय (2) (वासुदेव त्रिपाठी ; सितम्बर २०११)
  • हिन्दी का लैमार्कवादी विकास: राष्ट्रीय आत्मघात का एक अध्याय (1) (वासुदेव त्रिपाठी ; सितम्बर २०११)
  • हिंदी भाषा का भारत के उच्चतम न्यायालय में प्रयोग (जनतांत्रिक अधिकार)
  • इजराइल में हीब्रू - संकल्प का बल (२०१२ ई ; डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री)
  • जापानी भाषा कैसे सक्षम बनी ? (डॉ. मधुसूदन झावेरी ; दिसम्बर, २०१२)
  • जो देश अपनी ही भाषा में काम नहीं करते वे हमेशा पिछड़े रहते हैं ( नरेश सक्सेना, दिसम्बर २०१२)
  • पाकिस्तान में उर्दू में घुलती जा रही है हिंदी (नवम्बर, २०१२)
  • दो दशकों में हुआ है हिंदी का अंतरराष्ट्रीय विकास (अरविंद जयतिलक ; नवम्बर २०१२)
  • हिंदी का दुर्भाग्य या कहें भारत का दुर्भाग्य? (राजीव दीक्षित)
  • हिन्दी ज्ञान–विज्ञान की भाषा है; तत्समीकरण, तद्भवीकरण दोनों उसकी शक्ति हैं। (रमेश कुमार शर्मा)
  • इजराइल में हीब्रू-संकल्प का बल (-डॉ. रवीन्द्र अग्निहोत्री)
  • इंग्लैंड में अँग्रेजी कैसे लागू की गयी ? (-डॉ. गणपति चंद्र गुप्त)
  • क़ानून से बची थी फ्रांस में फ्रेंच
  • देवनागरी लिपि : सौन्दर्य और तकनीक (सितम्बर २०१२ ; अनूप सेठी)
  • तमिलनाडु में हिन्दी लोकप्रिय? (डॉ. मधुसूदन झवेरी ; सितम्बर २०१२)
  • भाषाई आतंक का दायरा (कमलेश कुमार गुप्त ; सितम्बर २०१२)
  • नई हिंदी गढ़ रही है सोशल नेटवर्किंग (प्रभासाक्षी, सितम्बर २०१२)
  • क्या हिन्दी दुनिया की एक सबसे लोकप्रिय भाषा होगी? (जून २०१२, रेडियो रूस)
  • अंग्रेजी के दुष्परिणाम (शंखनाद ; जुलाई २०१२)
  • अंग्रेजी के बारे में भ्रम (शंखनाद ; जुलाई २०१२)
  • हिंदी अखबार के पाठक नहीं पसंद कर रहे हैं अंग्रेजी शब्द (अप्रैल २०१२)
  • भारत सरकार ने एक नई खोज की है: हिन्दी कठिन है और अंग्रेजी सरल (अनिल त्रिवेदी, गांधीवादी चिंतक ; नवंबर 2011)
  • अंग्रेजी बनाम अंग्रेजियत (गुलाब कोठारी ; अगस्त २०११)
  • यूरोपीयों पर तेजी से चढ़ रहा है ‘हिंदी का बुखार'
  • हिन्दी-अंग्रेजी टक्कर (डॉ मधुसूदन झावेरी)
  • कटघरे में अंग्रेजी मीडिया (तेजिन्दर)
  • अंग्रेजी का हठ और कारपोरेट मठ (डॉ वेदप्रताप वैदिक)
  • 170 देशों में नोटों पर अंग्रेजी का हाल (चन्दन कुमर मिश्र)
  • हिन्दी के लिये घातक है त्रिभाषा-सूत्र (वेदप्रताप वैदिक)
  • अपना दिल फैला रही है हिंदी (अखिलेश आर्येन्दु)
  • षडयंत्र है या अनभिज्ञता (प्रो. सुरेन्द्र गंभीर)
  • हिन्दी पर सरकारी हमले का आखिरी हथौड़ा
  • अंगरेजी का खतरनाक अंडरवर्ल्ड-२ (विजयशंकर चतुर्वेदी)
  • अँगरेजी का अंडरवर्ल्ड-१ (विजयशंकर चतुर्वेदी)
  • हिन्दी किसकी है (बीनू भटनागर)
  • भारतीय भाषाओं की अस्मिता की रक्षा के लिये भोपाल घोषणा-पत्र (डॉ कविता वाचक्नवी)
  • स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाएँ : प्रासंगिकता, उपादेयता एवं सीमाएँ (प्रो दिलीप सिंह)
  • अंग्रेजी मानसिक दासता और हिन्दी (साहित्य दर्शन)
  • राजभाषा प्रशिक्षण : प्रगति के पथ पर (मधुमती)
  • भारतीय ”बॉन्साई पौधे” (मधुसूदन झावेरी)
  • मातृभाषा में शिक्षा का महत्व (जगमोहन सिंह राजपूत, एनसीईआरटी के पूर्व निदेशक)
  • अंग्रेजी की अंधभक्ति (डॉ वेदप्रताप वैदिक)
  • भारत में हिंदी का वर्तमान और इंग्लैंड में अंग्रेज़ी का अतीत एक जैसा ; अंग्रेज़ों के भाषा प्रेम तथा समर्पणभाव का अनोखा उदाहरण (डॉ. दलसिंगार यादव)
  • बैसाखी पर दौडा-दौडी (प्रो मधुसूदन झावेरी)
  • राष्ट्रीय अस्मिता और अंग्रेजी ; पाँचवां भाग (लेखक : ऋषिकेश राय)
  • राष्ट्रीय अस्मिता और अंग्रेजी ; चौथा भाग (लेखक : ऋषिकेश राय)
  • राष्ट्रीय अस्मिता और अंग्रेजी ; तीसरा भाग (लेखक : ऋषिकेश राय)
  • अंग्रेजी के साम्राज्यवाद का हथियार बना मीडिया! (तपन भट्टाचार्य ; सितम्बर २०१०)
  • हिन्दी का सरलीकरण (आचार्य देवेन्द्रनाथ शर्मा)
  • राष्ट्रीय अस्मिता और अंग्रेजी ; दूसरा भाग (लेखक : ऋषिकेश राय)
  • राष्ट्रीय अस्मिता और अंग्रेजी ; पहला भाग (लेखक : ऋषिकेश राय)
  • हिन्दी की अन्तर्निहित शक्ति (डॉ. मथुरेश नन्दन कुलश्रेष्ठ)
  • चुनाव के बीच में हिंदी का जादू (लाइव हिंदुस्तान)
  • हिन्दी के देश में हिन्दी की लड़ाई (भानुप्रताप सिंह)
  • अंग्रेजी थोपने की तैयारी (हृदयनारायण दीक्षित)
  • बारहवीं सदी में प्रशासन की भाषा थी हिंदी (उमेश चतुर्वेदी)
  • हिन्दुस्थान और हिन्दू के बाद अब हिन्दी को बांटने का षड्यंत्र (विजय कुमार)
  • जिन्होंने दी हिन्दी को ऊंचाई (हिंदुस्तान लाइव)
  • करियर के माथे पर हिन्दी की बिंदी (हिंदुस्तान लाइव)
  • भाषा के मातृभाषा न रहने के संकट (राष्ट्रीय हिंदी मेल)
  • जब तक ’अंग्रेजी’ राज रहेगा, स्वतंत्र भारत सपना रहेगा (विश्वमोहन तिवारी , पूर्व एयर वाइस मार्शल)
  • स्वाधीनता संग्राम में हिंदी की अहम भूमिका थी
  • राष्ट्रभाषा : मनन, मन्थन, मन्तव्य (संजय भारद्वाज का आलेख; यह लेख बहुत विस्तृत है ; लगभग १.५ मेगाबाइट)
  • अदालती कामकाज में पूरी तरह सक्षम है हिंदी भाषा (प्रभासाक्षी)
  • कई राज्यों की अदालतों में होती है हिंदी में बहस (प्रभासाक्षी)
  • अंग्रेजी संसार में हिंदी का आकाश प्रमोद जोशी
  • भाषाई अस्मिता और हिन्दी (गूगल पुस्तक ; लेखक - रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव)
  • हिन्दी राष्ट्रभाषा (श्रीविचार)
  • इसलिए बिदा करना चाहते हैं, (ताक-झांक)
  • दिमाग को चुस्त बनाती है हिंदी !! (राष्ट्रीय मस्तिष्क अनुसंधान संस्थान का शोध)
  • argade.htm प्रबंधन और हिन्दी (रंजना अरगड़े)
  • हिन्दी के प्रश्न और उत्तर (संयुक्त राज्य अमेरिका में हिन्दी के एक प्रमुख कार्यकर्ता श्री राम चौधरी से साक्षात्कार)
  • पारिभाषिक शब्दावली की विकास-प्रक्रिया (मधुमती)
  • हिंदी या हिंग्लिश? (राजेन्द्र मिश्र; मधुमती में)
  • हिन्दी की स्वीकार्यता में बाधक केन्द्रीय कानून (किरन माहेश्वरी)
  • डा राविलास शर्मा और 'हिन्दी महाजाति' की अवधारणा
  • कालसिध्द भाषा है हिन्दी (लोकतेज)
  • हिंदी में अदालती कार्यवाही के सफल प्रयोग - न्यायमूर्ति श्री प्रेमशंकर गुप्त
  • खूब अवसर हिंदी में - संध्या रानी
  • हिन्दी-परक दोहे (मधुमती)
  • हिन्दी भाषा और साहित्य : बाह्य प्रभावों का हस्तक्षेप - डॉ कन्हैया सिंह
  • हिंदी में वैज्ञानिक लेखन की परंपरा (डॉ ऋषभ शर्मा)
  • इंडिक भाषा कंप्यूटिंग के माध्यम से भारतीयों का वैश्विक समन्वय - विजय कुमार मल्होत्रा
  • शोषण का हथियार है अंग्रेजी (डॉ राममनोहर लोहिया)
  • हिन्दी में आधुनिक प्रौद्योगिकी की संभावना - विश्वमोहन तिवारी
  • राष्ट्र भाषा और हमारा गणतंत्र (सृजनगाथा)
  • गीत : राष्ट्रभाषा महान है (मोहन रावल)
  • संस्कृति, साहित्य और लिपि : संदर्भ राष्ट्रभाषा (मधुमती)
  • दक्षिण भारत की हिंदी पत्रकारिता - डॉ. सी. जय शंकर बाबु
  • बेहतर भविष्य की ओर हिंदी - हृदयनारायण दीक्षित
  • गांधी-दर्शन में राष्ट्रभाषा समाधान
  • दुनिया से कह दो कि गाँधी अंग्रेजी भूल गया (मधुमती)
  • हिन्दी की उपेक्षा से गहरा हुआ विभाजन (डा राममनोहर लोहिया)
  • आम लोगों को सूचनाओं से वंचित भी करती है अंग्रेजी (राममनोहर लोहिया)
  • हिंदी पत्रकारिता : आत्ममंथन की जरूरत (१) - अरविंद कुमार सिंह
  • भूमण्डलीकरण के दौर में हिन्दी - कृष्ण कुमार यादव
  • गुलामी के लिए अँग्रेजी की बेड़ियों की आराधना क्यों - मोहन रावल
  • जारी है हिन्दी की सहजता को नष्ट करने की साजिश
  • हिंदी पत्रकारिता पर अंग्रेजी का आक्रमण (संवाद)
  • dutta.htm विकृति पर केंद्रित होती पत्रकारिता के खतरे (मिडिया विमर्श)
  • भाषा विवाद की जड - विदेशी भाषा अंग्रेजी
  • कैसे मिले हिन्दी को सम्मान? - महीप सिंह
  • इसलिए बिदा करना चाहते हैं, हिंदी को हिंदी के कुछ अख़बार (प्रभु जोशी)
  • हिन्दी लिखो ईनाम पाओ (Hindi Media)
  • हिंदी सिनेमा : कितना हिंदी? - विनोद अनुपम
  • हिन्दी का भाषा वैभव ( डा. मधुसूदन झवेरी )
  • वैश्वीकरण में हिन्दी और प्रवासी भारतीयों का योगदान ( शैलेश मिश्र )
  • हिन्दी दिवस अंग्रेजों के खाने कमाने और आतंकवाद मिटाने के प्रण का दिन
  • कमी हिन्दी में नहीं, हिन्दीभाषियों में है - डॉ. वेदप्रताप वैदिक
  • बेहतर था अंग्रेज का राज - ऋषभ देव शर्मा
  • किसानों के लिए बीज व पानी से भी अहम है हिन्‍दी का मुद्दा - अशोक पाण्डेय, अपने हिन्दी ब्लग खेती-बारी में
  • हिन्दी एक समृद्ध भाषा (वेबदुनिया)
  • राष्ट्रवाद और भाषा - डॉ. दया प्रकाश सिन्हा
  • वर्चस्व बनाती भाषायी पत्रकारिता - प्रीतीश नंदी
  • हिन्दी मरे तो हिन्दुस्तान बचे - प्रभु जोशी
  • प्रवासी भारतीय और हिंदी: कुछ सुझाव - प्रो. हरिशंकर आदेश
  • विश्व में हिन्दी की लोकप्रियता
  • हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान -प्रो.ऋषभदेव शर्मा
  • भारतीय भाषाओं का पुनरुत्थान कैसे? -आशीष गर्ग
  • भारतीय भाषाओं का भविष्य - राहुल देव
  • हिंदी में क्यों नहीं बोलते फिल्मी सितारे! (निर्माता-निर्देशक महेश भट्ट)
  • भारत में राष्ट्रीय अखण्डता : भाषायी समन्वय - प्रोफेसर दिविक रमेश;अक्टूबर 1, 2006
  • हिन्दी - करवट लेती नयी चुनौतियाँ - डॉ. विनय राजाराम
  • अंग्रेजी के चमगादड़ - डॉ.वेदप्रताप वैदिक (21 May, 2008)
  • हिंदी की हत्या के विरुद्ध -प्रभु जोशी
  • विसंस्कृतिकरण – विदेशी भाषा का मोह
  • प्रयोजनमूलक हिन्दी - डॉ. वखतसिंह गोहिल
  • इक्कीसवीं सदी की चुनौतियाँ और हिन्दी - डॉ. हेमलता महिश्वर
  • राष्ट्रभाषा हिन्दी की श्रीवृद्धि में क्षेत्रीय भाषाओं का योगदान
  • राष्ट्रवाणी (पण्डित गोपालप्रसाद व्यास कृत 'बिन हिन्दी सब सून' से)
  • हिन्दी ही मेरे लिए भारतमाता है (पण्डित गोपालप्रसाद व्यास)
  • हिंदू-हिन्दी-हिंदुस्तान (जनोक्ति.कॉम)
  • विश्व में हिंदी फिर पहले स्थान पर (डॉ. जयंती प्रसाद नौटियाल द्वारा कृत भाषा शोध अध्ययन 2007 का निष्कर्ष)
  • हिन्दी के बारे में विभिन्न महापुरुषों के वचन
  • महापुरुषों के अनमोल विचारों का संग्रह हिन्दी में 


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