अंशुबोधिनी नामक के बारे में पढ़ रहा था। उसके अध्यायों के नाम पढ़कर सहसा लगा कि प्राचीन भारतीय ग्रंथों से वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली छांटकर संकलित करना बहुत उपयोगी रहेगा। जब भी किसी ज्ञान विज्ञान का विकास होता है तब शब्दावली साथ जाती है या यों कहें कि शब्दावली और ज्ञान -विज्ञान एक साथ विक्सित होते हैं आगे-पीछे नहीं।
प्राचीन भारतीय तकनीकी शब्दावली को संकलित लाभ होंगे. इससे भारत के प्राचीन तकनीकी और प्रौद्योगिकीय विकास वास्तविक चित्र सामने आएगा, हमें किस प्रकार से तकनीकी शब्दों का निर्माण करना चाहिए- इसका दिशाबोध मिलेगा. प्राचीन भारतीय किस प्रकार से विषयों पर लिखते थे, यह पता चलेगा। उनकी अध्याय-योजना कैसी होती थी- यह पता चलेगा।
सबसे पहले तो अंशुबोधिनी के आठ प्रकार नाम देखिए-
शक्त्युद्गमो भूतवाहो धूमयानश्शिखोद्गमः। अंशुवाहस्तारामुखो मणिवाहो मरुत्सखः॥
अर्थात, शक्त्युद्गमः भूतवाहः धूमयानः शिखोद्गमः अंशुवाहः तारामुखः मणिवाहः और मरुत्सखः नामक ८ प्रकार के विमान होते हैं।
विमान के ३२ रहस्य
वैमानिक शास्त्र नामक ग्रन्थ में विमानचालक (पाइलॉट) के लिये ३२ रहस्यों (systems) की जानकारी आवश्यक बतायी गयी है। इन रहस्यों को जान लेने के बाद ही पाइलॉट विमान चलाने का अधिकारी हो सकता है। ये रहस्य निम्नलिखित हैं-
- मांत्रिक, तान्त्रिक, कृतक, अन्तराल, गूढ, दृश्य, अदृश्य, परोक्ष, संकोच, विस्तृति, विरूप परण, रूपान्तर, सुरूप, ज्योतिर्भाव, तमोनय, प्रलय, विमुख, तारा, महाशब्द विमोहन, लांघन, सर्पगमन, चपल, सर्वतोमुख, परशब्दग्राहक, रूपाकर्षण, क्रियाग्रहण, दिक्प्रदर्शन, आकाशाकार, जलद रूप, स्तब्धक, कर्षण।
- बाद में इंटरनेट पर देखा तो एक अच्छी संस्कृत तकनीकी शब्दावली भी मिली-
- http://www.hamsi.org.nz/p/blog-page_19.html