18 March, 2005

जाल पर हिन्दी का विस्तार

अब सबको विश्वास हो चला है कि सर्वव्यापी संगणन का युग आने ही वाला है और अब सब कुछ नेटवर्कित रहेगा । कुछ लोग तो यहाँ तक कहने लगे हैं कि संचार और संगणन की सुविधा अब नि:शुल्क उपलब्ध है । पर क्या हम तैयार हैं ?

हिन्दी के अखबार धूम मचाये हुए हैं । दूरदर्शन पर भी हिन्दी की समुचित प्रतिष्ठा है । पर संजाल पर स्थिति ऐसी नही है । इसका मुख्य कारण यह है कि कम्प्यूटर पर हिन्दी पढना और लिखना अब तक अत्यन्त असुविधाजनक था ।

सौभाग्य से अब स्थिति बदल गयी है । यूनिकोड का प्रादुर्भाव हिन्दी सहित अनेक भाषाऒं के लिये वरदान साबित हुआ है ।

लेकिन समस्या ये है कि बहुत से जाल-पत्र अब भी युनिकोडित नही हैं । उनको पढने के लिये उनका फ़ान्ट उतारना पडता है । उनको हिन्दी में कुछ लिखकर कहना तो असंभव जैसा है । उनके पन्नो मे कुछ खोजना भी असंभव ही है । और भी बहुत सी समस्यायें है ।

उपरोक्त सारी समस्यायों का एक झटके मे निदान संभव है यदि सब लोग यूनिकोड अपना लें । इसके बिना संजाल पर हिन्दी के विस्तार का रास्ता साफ़ नही हो सकता । इस शुभ काम मे देरी नही होनी चाहिये ।

हम सब हिन्दी ब्लागर-बंधु एक याचिका (पेटीशन) तैयार करेंगे । यह याचिका तमाम सारे वेब-पेज-धारकों को ई-मेल से भेजी जयेगी । जो सुधार नही करेंगे उन्हे फ़िर लिखेंगे । यह काम कन्नड भाषा के शुभचिन्तक कुछ माह पूर्व कर चुके है । उनको सफलता मिली है , हमको भी मिलेगी ।

2 comments:

Unknown said...

ये एक अच्छी बात है कि आप जैसे लोग इस दिशा में पयत्नरत हैं। हम आपके साथ हैं। हिन्दी में पूरा का पूरा संगणक काम करे ऐसी हमारी भी तमन्ना है और लोगों को संगणक पर काम करने के लिये अंग्रेजी का सहारा न लेना पड़े।

विजय ठाकुर said...

बड़ा ही महत्वपूर्ण काम लिया है अपने हाथ में आपने, आप सच ही कहते थे हिन्दी के दिन बहुरेंगे, हिन्दी समुदाय निश्चित तौर पर आपको याद करेगा। हमारी शुभकामनाएँ