11 August, 2005

१२वीं अनुगूँज : सुभाषितों की मेरी पहली खेप

सुभाषित

पृथ्वी पर तीन रत्न हैं - जल, अन्न और सुभाषित । लेकिन मूर्ख लोग पत्थर के टुकडों को ही रत्न कहते रहते हैं ।
-- संस्कृत सुभाषित

विश्व के सर्वोत्कॄष्ट कथनों और विचारों का ज्ञान ही संस्कृति है ।
-- मैथ्यू अर्नाल्ड

संसार रूपी कटु-वृक्ष के केवल दो फल ही अमृत के समान हैं ; पहला, सुभाषितों का रसास्वाद और दूसरा, अच्छे लोगों की संगति ।
-- चाणक्य

सही मायने में बुद्धिपूर्ण विचार हजारों दिमागों में आते रहे हैं । लेकिन उनको अपना बनाने के लिये हमको ही उन पर गहराई से तब तक विचार करना चाहिये जब तक कि वे हमारी अनुभूति में जड न जमा लें ।
-- गोथे

मैं उक्तियों से घृणा करता हूँ । वह कहो जो तुम जानते हो ।
-- इमर्सन

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