tag:blogger.com,1999:blog-10323440.post112703425651518508..comments2024-03-12T13:12:12.393+05:30Comments on प्रतिभास: तेरहवीं अनुगूँज : संगति की गतिअनुनाद सिंहhttp://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-10323440.post-1127073686043531972005-09-19T01:31:00.000+05:302005-09-19T01:31:00.000+05:30बहुत बढ़िया अनुनाद जी। संजाल की सत्संग के बारे में...बहुत बढ़िया अनुनाद जी। संजाल की सत्संग के बारे में तो मैंने सोचा ही नहीं था। एक नए पहलू की ओर ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। यहाँ भी सिक्के दोनों पहलू हैं। कुसंग व सत्संग दोनो संभव हैं। अब आप किस तरफ जाते हैं यह निर्भर करता है।मिर्ची सेठhttps://www.blogger.com/profile/16040787652013263782noreply@blogger.com